Chapter 9 – राजविद्याराजगुह्ययोग Shloka-34
Chapter-9_1.34 SHLOKA मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायणः।।9.34।। PADACHHED मन्मना:, भव, मद्भक्त:, मद्याजी, माम्, नमस्कुरु,माम्_एव_एष्यसि, युक्त्वा_एवम्_आत्मानम्, मत्परायण: ॥ ३४ ॥ ANAVYA मन्मना: भव मद्भक्त: (भव), मद्याजी (भव), मां नमस्कुरु,एवम् आत्मानं युक्त्वा मत्परायण: (त्वम्) माम् एव एष्यसि। ANAVYA-INLINE-GLOSS मन्मना: [मुझमें मन वाला], भव [हो,], मद्भक्त: [मेरा भक्त], {(भव) [बनो,]}, मद्याजी [मेरा पूजन करने वाला],…