Chapter 9 – राजविद्याराजगुह्ययोग Shloka-28
SHLOKA
शुभाशुभफलैरेवं मोक्ष्यसे कर्मबन्धनैः।
संन्यासयोगयुक्तात्मा विमुक्तो मामुपैष्यसि।।9.28।।
संन्यासयोगयुक्तात्मा विमुक्तो मामुपैष्यसि।।9.28।।
PADACHHED
शुभाशुभ-फलै:_एवम्, मोक्ष्यसे, कर्म-बन्धनै:,
सन्न्यास-योग-युक्तात्मा, विमुक्त:, माम्_उपैष्यसि ॥ २८ ॥
सन्न्यास-योग-युक्तात्मा, विमुक्त:, माम्_उपैष्यसि ॥ २८ ॥
ANAVYA
एवं सन्न्यासयोगयुक्तात्मा (त्वम्) शुभाशुभफलै:
कर्मबन्धनै: मोक्ष्यसे (च) विमुक्त: माम् उपैष्यसि।
कर्मबन्धनै: मोक्ष्यसे (च) विमुक्त: माम् उपैष्यसि।
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एवम् [इस प्रकार], सन्न्यासयोगयुक्तात्मा [((जिसमें समस्त कर्म मुझ भगवान् के अर्पण होते हैं ऐसे)) संन्यास योग से युक्त चित्त वाले], {(त्वम्) [तुम]}, शुभाशुभफलै: [शुभाशुभ फलरूप],
कर्मबन्धनै: [कर्मबन्धन से], मोक्ष्यसे (च) [मुक्त हो जाओगे (और) ((उनसे))], विमुक्त: [मुक्त होकर], माम् [मुझको (ही)], उपैष्यसि [प्राप्त होगे।],
कर्मबन्धनै: [कर्मबन्धन से], मोक्ष्यसे (च) [मुक्त हो जाओगे (और) ((उनसे))], विमुक्त: [मुक्त होकर], माम् [मुझको (ही)], उपैष्यसि [प्राप्त होगे।],
ANUVAAD
इस प्रकार ((जिसमें समस्त कर्म मुझ भगवान् के अर्पण होते हैं ऐसे)) संन्यास योग से युक्त चित्त वाले (तुम) शुभाशुभ फलरूप
कर्मबन्धन से मुक्त हो जाओगे (और) ((उनसे)) मुक्त होकर मुझको ((ही)) प्राप्त होगे।
कर्मबन्धन से मुक्त हो जाओगे (और) ((उनसे)) मुक्त होकर मुझको ((ही)) प्राप्त होगे।