Chapter 9 – राजविद्याराजगुह्ययोग Shloka-25

Chapter-9_1.25

SHLOKA

यान्ति देवव्रता देवान् पितॄन्यान्ति पितृव्रताः।
भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम्।।9.25।।

PADACHHED

यान्ति, देव-व्रता:, देवान्, पितृन्_यान्ति, पितृ-व्रता:,
भूतानि, यान्ति, भूतेज्या:, यान्ति, मद्याजिन:_अपि, माम् ॥ २५ ॥

ANAVYA

देवव्रता: देवान् यान्ति, पितृव्रता: पितृन् यान्ति, भूतेज्या: भूतानि
यान्ति (च) मद्याजिन: माम् अपि यान्ति।

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देवव्रता: [देवताओं को पूजने वाले], देवान् [देवताओं को], यान्ति [प्राप्त होते हैं,], पितृव्रता: [पितरों को पूजने वाले], पितृन् [पितरों को], यान्ति [प्राप्त होते हैं,], भूतेज्या: [भूतों को पूजने वाले], भूतानि [भूतों को],
यान्ति [प्राप्त होते हैं], {(च) [और]}, मद्याजिन: [मेरा पूजन करने वाले ((भक्त))], माम् [मुझको], अपि [ही], यान्ति [प्राप्त होते हैं। ((इसीलिये मेरे भक्तों का पुनर्जन्म नहीं होता।))],

ANUVAAD

देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने वाले भूतों को
प्राप्त होते हैं (और) मेरा पूजन करने वाले ((भक्त)) मुझको ही प्राप्त होते हैं। ((इसीलिये मेरे भक्तों का पुनर्जन्म नहीं होता।))

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