Chapter 14 – गुणत्रयविभागयोग Shloka-11
SHLOKA
सर्वद्वारेषु देहेऽस्मिन्प्रकाश उपजायते।
ज्ञानं यदा तदा विद्याद्विवृद्धं सत्त्वमित्युत।।14.11।।
ज्ञानं यदा तदा विद्याद्विवृद्धं सत्त्वमित्युत।।14.11।।
PADACHHED
सर्व-द्वारेषु, देहे_अस्मिन्_प्रकाश:, उपजायते,
ज्ञानम्, यदा, तदा, विद्यात्_विवृद्धम्, सत्त्वम्_इति_उत ॥ ११ ॥
ज्ञानम्, यदा, तदा, विद्यात्_विवृद्धम्, सत्त्वम्_इति_उत ॥ ११ ॥
ANAVYA
यदा अस्मिन् देहे (च) सर्वद्वारेषु प्रकाश: (च)
ज्ञानम् उपजायते तदा इति विद्यात् उत सत्त्वं विवृद्धम्।
ज्ञानम् उपजायते तदा इति विद्यात् उत सत्त्वं विवृद्धम्।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
यदा [जिस समय], अस्मिन् [इस], देहे (च) [देह में (तथा)], सर्वद्वारेषु [अन्त:करण और इन्द्रियों में], प्रकाश: (च) [चेतनता (और)],
ज्ञानम् [विवेक शक्ति], उपजायते [उत्पन्न होती है,], तदा [उस समय], इति [ऐसा], विद्यात् [जानना चाहिये], उत [कि], सत्त्वम् [सत्त्वगुण], विवृद्धम् [बढ़ा है।],
ज्ञानम् [विवेक शक्ति], उपजायते [उत्पन्न होती है,], तदा [उस समय], इति [ऐसा], विद्यात् [जानना चाहिये], उत [कि], सत्त्वम् [सत्त्वगुण], विवृद्धम् [बढ़ा है।],
ANUVAAD
जिस समय इस देह में (तथा) अन्त:करण और इन्द्रियों में चेतनता (और)
विवेक शक्ति उत्पन्न होती है, उस समय ऐसा जानना चाहिये कि सत्त्व गुण बढ़ा है।
विवेक शक्ति उत्पन्न होती है, उस समय ऐसा जानना चाहिये कि सत्त्व गुण बढ़ा है।