Chapter 14 – गुणत्रयविभागयोग Shloka-10
SHLOKA
रजस्तमश्चाभिभूय सत्त्वं भवति भारत।
रजः सत्त्वं तमश्चैव तमः सत्त्वं रजस्तथा।।14.10।।
रजः सत्त्वं तमश्चैव तमः सत्त्वं रजस्तथा।।14.10।।
PADACHHED
रज:_तम:_च_अभिभूय, सत्त्वम्, भवति, भारत,
रज:, सत्त्वम्, तम:_च_एव, तम:, सत्त्वम्, रज:_तथा ॥ १० ॥
रज:, सत्त्वम्, तम:_च_एव, तम:, सत्त्वम्, रज:_तथा ॥ १० ॥
ANAVYA
(हे) भारत! रज: च तम: अभिभूय सत्त्वम्, सत्त्वं च तम: (अभिभूय) रज:
तथा एव सत्त्वं (च) रज: (अभिभूय) तम: भवति।
तथा एव सत्त्वं (च) रज: (अभिभूय) तम: भवति।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
(हे) भारत! [हे अर्जुन!], रज: [रजोगुण], च [और], तम: [तमोगुण को], अभिभूय [दबाकर], सत्त्वम् [सत्त्वगुण,], सत्त्वम् [सत्त्वगुण], च [और], तम: (अभिभूय) [तमोगुण को (दबाकर)], रज: [रजोगुण],
तथा [वैसे], एव [ही], सत्त्वम् (च) [सत्त्वगुण (और)], रज: (अभिभूय) [रजोगुण को (दबाकर)], तम: [तमोगुण], भवति [होता है अर्थात् बढ़ता है।],
तथा [वैसे], एव [ही], सत्त्वम् (च) [सत्त्वगुण (और)], रज: (अभिभूय) [रजोगुण को (दबाकर)], तम: [तमोगुण], भवति [होता है अर्थात् बढ़ता है।],
ANUVAAD
हे अर्जुन! रजोगुण और तमोगुण को दबाकर सत्त्वगुण, सत्त्वगुण और तमोगुण को (दबाकर) रजोगुण
वैसे ही सत्त्वगुण (और) रजोगुण को (दबाकर) तमोगुण होता है अर्थात् बढ़ता है।
वैसे ही सत्त्वगुण (और) रजोगुण को (दबाकर) तमोगुण होता है अर्थात् बढ़ता है।