Chapter 6 – ध्यानयोग/आत्मसंयमयोग Shloka-17

Chapter-6_6.17

SHLOKA

युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा।।6.17।।

PADACHHED

युक्ताहार-विहारस्य, युक्त-चेष्टस्य, कर्मसु,
युक्त-स्वप्नावबोधस्य, योग:, भवति, दु:ख-हा ॥ १७ ॥

ANAVYA

दु:खहा योग: (तु) युक्ताहारविहारस्य कर्मसु युक्तचेष्टस्य
युक्तस्वप्नावबोधस्य (च) (एव) (सिद्धः) भवति।

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दु:खहा [दु:खों का नाश करने वाला], योग: (तु) [योग (तो)], युक्ताहारविहारस्य [यथायोग्य आहार-विहार करने वाले का,], कर्मसु [कर्मो में], युक्तचेष्टस्य [यथायोग्य चेष्टा करने वाले का],
युक्तस्वप्नावबोधस्य (च) [यथायोग्य सोने तथा जागने वाले का], {(एव [ही]}, (सिद्धः) [सिद्ध]}, भवति [होता है।],

ANUVAAD

दु:खों का नाश करने वाला योग (तो) यथायोग्य आहार-विहार करने वाले का, कर्मो मे यथायोग्य चेष्टा करने वाले का (और)
यथायोग्य सोने तथा जागने वाले का (ही) (सिद्ध) होता है।

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