SHLOKA
कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं बोद्धव्यं च विकर्मणः।
अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गतिः।।4.17।।
अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गतिः।।4.17।।
PADACHHED
कर्मण:, हि_अपि, बोद्धव्यम्, बोद्धव्यम्, च, विकर्मण:,
अकर्मण:_च, बोद्धव्यम्, गहना, कर्मण:, गति: ॥ १७ ॥
अकर्मण:_च, बोद्धव्यम्, गहना, कर्मण:, गति: ॥ १७ ॥
ANAVYA
कर्मणः (स्वरूपम्) अपि बोद्धव्यं च अकर्मण: (स्वरूपमपि) बोद्धव्यम् च
विकर्मण: (स्वरूपमपि) बोद्धव्यम्; हि कर्मण: गति: गहना (वर्तते)।
विकर्मण: (स्वरूपमपि) बोद्धव्यम्; हि कर्मण: गति: गहना (वर्तते)।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
कर्मण: (स्वरूपम्) [कर्म का (स्वरूप)], अपि [भी], बोद्धव्यम् [जानना चाहिये], च [और], अकर्मण: (स्वरूपमपि) [अकर्म का (स्वरूप भी)], बोद्धव्यम् [जानना चाहिये;], च [तथा],
विकर्मण: (स्वरूपमपि) [विकर्म का (स्वरूप भी)], बोद्धव्यम् [जानना चाहिये;], हि [क्योंकि], कर्मण: [कर्म की], गति: [गति], गहना (वर्तते) [गहन ((गंभीर)) है।],
विकर्मण: (स्वरूपमपि) [विकर्म का (स्वरूप भी)], बोद्धव्यम् [जानना चाहिये;], हि [क्योंकि], कर्मण: [कर्म की], गति: [गति], गहना (वर्तते) [गहन ((गंभीर)) है।],
ANUVAAD
कर्म का (स्वरूप) भी जानना चाहिये और अकर्म का (स्वरूप भी) जानना चाहिये तथा
विकर्म का (स्वरूप भी) जानना चाहिये; क्योंकि कर्म की गति गहन ((गंभीर)) है।
विकर्म का (स्वरूप भी) जानना चाहिये; क्योंकि कर्म की गति गहन ((गंभीर)) है।