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Gita Chapter-3 Shloka-24

Chapter-3_3.24

SHLOKA

उत्सीदेयुरिमे लोका न कुर्यां कर्म चेदहम्।
सङ्करस्य च कर्ता स्यामुपहन्यामिमाः प्रजाः।।3.24।।

PADACHHED

उत्सीदेयु:_इमे, लोका:, न, कुर्याम्, कर्म, चेत्_अहम्‌,
संकरस्य, च, कर्ता, स्याम्_उपहन्याम्_इमा:, प्रजा: ॥ २४ ॥

ANAVYA

(अतः) चेत्‌ अहं कर्म न कुर्याम् (तर्हि) इमे लोका: उत्सीदेयु:
च (अहं) संकरस्य कर्ता स्याम् (अपि च) इमा: प्रजा: उपहन्याम्‌।

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{अतः [इसलिए]} चेत् [यदि], अहम् [मै], कर्म [कर्म], न [न], कुर्याम् (तर्हि) [करूँ (तो)], इमे [ये सब], लोका: [ मनुष्य], उत्सीदेयु: [नष्ट-भ्रष्ट हो जायँ],
च (अहं) [और (मैं)], संकरस्य [संकरता का], कर्ता [करने वाला], स्याम् (अपि च) [होऊँ (तथा)], इमा: [इस], प्रजा: [समस्त प्रजा को], उपहन्याम् [नष्ट करने वाला बनूँ।],

ANUVAAD

(इसलिए) यदि मै कर्म न करूँ (तो) ये सब मनुष्य नष्ट-भ्रष्ट हो जायँ
और (मैं) संकरता का करने वाला होऊँ (तथा) इस समस्त प्रजा को नष्ट करने वाला बनूँ।

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