SHLOKA
व्यामिश्रेणेव वाक्येन बुद्धिं मोहयसीव मे।
तदेकं वद निश्चित्य येन श्रेयोऽहमाप्नुयाम्।।3.2।।
तदेकं वद निश्चित्य येन श्रेयोऽहमाप्नुयाम्।।3.2।।
PADACHHED
व्यामिश्रेण_इव, वाक्येन, बुद्धिम्, मोहयसि_इव, मे
तत्_एकम्, वद, निश्चित्य, येन, श्रेयः_अहम्_आप्नुयाम् ॥ २ ॥
तत्_एकम्, वद, निश्चित्य, येन, श्रेयः_अहम्_आप्नुयाम् ॥ २ ॥
ANAVYA
(त्वम्) व्यामिश्रेण इव वाक्येन मे बुद्धिं मोहयसि इव (अतः)
तत् एकं (वचनं) निश्चित्य वद येन अहं श्रेय: आप्नुयाम्।
तत् एकं (वचनं) निश्चित्य वद येन अहं श्रेय: आप्नुयाम्।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
व्यामिश्रेण इव [मिले हुए], वाक्येन [वचनों से], मे [मेरी], बुद्धिम् [बुद्धि को], मोहयसि इव [मानो मोहित कर रहे हैं (इसलिये)],
तत् [उस], एकम् (वचनं) [एक (बात) को], निश्चित्य [निश्चित करके], वद [कहिये,], येन [जिससे], अहम् [मैं], श्रेय: [कल्याण को], आप्नुयाम् [प्राप्त हो जाऊँ।],
तत् [उस], एकम् (वचनं) [एक (बात) को], निश्चित्य [निश्चित करके], वद [कहिये,], येन [जिससे], अहम् [मैं], श्रेय: [कल्याण को], आप्नुयाम् [प्राप्त हो जाऊँ।],
ANUVAAD
(आप) मिले हुए वचनों से मेरी बुद्धि को मानो मोहित कर रहे हैं (इसलिये)
उस एक (वचन) को निश्चित करके कहिये जिससे मैं कल्याण को प्राप्त हो जाऊँ।
उस एक (वचन) को निश्चित करके कहिये जिससे मैं कल्याण को प्राप्त हो जाऊँ।