SHLOKA
अर्जुन उवाच -
ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन।
तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव।।3.1।।
ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन।
तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव।।3.1।।
PADACHHED
अर्जुन उवाच -
ज्यायसी, चेत्_कर्मण:_ते, मता, बुद्धि:_जनार्दन,
तत्_किम्, कर्मणि, घोरे, माम्, नियोजयसि, केशव ॥ १ ॥
ज्यायसी, चेत्_कर्मण:_ते, मता, बुद्धि:_जनार्दन,
तत्_किम्, कर्मणि, घोरे, माम्, नियोजयसि, केशव ॥ १ ॥
ANAVYA
अर्जुन उवाच -
(हे) जनार्दन! (कृष्ण) चेत् ते कर्मणः बुद्धि: ज्यायसी मता (अस्ति)
तत् (हे) केशव! माम् घोरे कर्मणि किम् नियोजयसि।
(हे) जनार्दन! (कृष्ण) चेत् ते कर्मणः बुद्धि: ज्यायसी मता (अस्ति)
तत् (हे) केशव! माम् घोरे कर्मणि किम् नियोजयसि।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
अर्जुन उवाच - [अर्जुन ने कहा -], (हे) जनार्दन [हे जनार्दन!], चेत् [यदि], ते [आप को], कर्मणः [कर्म की अपेक्षा], बुद्धि: [ज्ञान], ज्यायसी [श्रेष्ठ], मता (अस्ति) [मान्य है],
तत् [तो फिर], (हे) केशव [हे केशव!], माम् [मुझे], घोरे [भयंकर], कर्मणि [कर्म में], किम् [क्यों], नियोजयसि [लगाते हो ?],
तत् [तो फिर], (हे) केशव [हे केशव!], माम् [मुझे], घोरे [भयंकर], कर्मणि [कर्म में], किम् [क्यों], नियोजयसि [लगाते हो ?],
ANUVAAD
अर्जुन ने कहा - हे जनार्दन! (कृष्ण) यदि आपको कर्म की अपेक्षा ज्ञान श्रेष्ठ मान्य है
तो फिर हे केशव! मुझे भयंकर कर्म में क्यों लगाते हो?
तो फिर हे केशव! मुझे भयंकर कर्म में क्यों लगाते हो?