Gita Chapter-2 Shloka-16
SHLOKA
नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः।
उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शिभिः।।2.16।।
उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शिभिः।।2.16।।
PADACHHED
न_असत:, विद्यते, भाव:, न_अभाव:, विद्यते, सतः,
उभयो:_अपि, दृष्ट:_अन्त:_तु_अनयो:_तत्त्व-दर्शिभि: ॥ १६ ॥
उभयो:_अपि, दृष्ट:_अन्त:_तु_अनयो:_तत्त्व-दर्शिभि: ॥ १६ ॥
ANAVYA
असत: (तु) भाव: न विद्यते तु सत: अभाव: न विद्यते, (एवम्) अनयो: उभयो:
अपि अंत: तत्त्वदर्शिभि: दृष्ट:।
अपि अंत: तत्त्वदर्शिभि: दृष्ट:।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
असत: (तु) [असत् ((वस्तु)) की (तो)], भाव: [सत्ता], न [नहीं], विद्यते [है], तु [और], सत: [सत् का], अभाव: [अभाव], न [नहीं],
विद्यते [है], {(एवम्) [इसप्रकार]}, अनयो: [इन], उभयो: [दोनो का], अपि [ही], अंत: [तत्व], तत्त्वदर्शिभि: [तत्त्वज्ञानी पुरुषों द्वारा], दृष्ट: [देखा गया है।],
विद्यते [है], {(एवम्) [इसप्रकार]}, अनयो: [इन], उभयो: [दोनो का], अपि [ही], अंत: [तत्व], तत्त्वदर्शिभि: [तत्त्वज्ञानी पुरुषों द्वारा], दृष्ट: [देखा गया है।],
ANUVAAD
असत् ((वस्तु)) की (तो) सत्ता नहीं है और सत् का अभाव नही है (इस प्रकार) इन दोनों का
ही तत्व तत्त्वज्ञानी पुरुषों द्वारा देखा गया है।
ही तत्व तत्त्वज्ञानी पुरुषों द्वारा देखा गया है।