Chapter 18 – मोक्षसन्न्यासयोग Shloka-30
SHLOKA
प्रवृत्तिं च निवृत्तिं च कार्याकार्ये भयाभये।
बन्धं मोक्षं च या वेत्ति बुद्धिः सा पार्थ सात्त्विकी।।18.30।।
बन्धं मोक्षं च या वेत्ति बुद्धिः सा पार्थ सात्त्विकी।।18.30।।
PADACHHED
प्रवृत्तिम्, च, निवृत्तिम्, च, कार्याकार्ये, भयाभये,
बन्धम्, मोक्षम्, च, या, वेत्ति, बुद्धि:, सा, पार्थ, सात्त्विकी ॥ ३० ॥
बन्धम्, मोक्षम्, च, या, वेत्ति, बुद्धि:, सा, पार्थ, सात्त्विकी ॥ ३० ॥
ANAVYA
(हे) पार्थ! या (बुद्धिः) प्रवृत्तिं च निवृत्तिं कार्याकार्ये भयाभये
च बन्धं च मोक्षं वेत्ति सा बुद्धि: सात्त्विकी (वर्तते)।
च बन्धं च मोक्षं वेत्ति सा बुद्धि: सात्त्विकी (वर्तते)।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
(हे) पार्थ! [हे पार्थ!], या (बुद्धिः) [जो (बुद्धि)], प्रवृत्तिम् [प्रवृत्ति मार्ग], च [और], निवृत्तिम् [निवृत्ति मार्ग को], कार्याकार्ये [कर्तव्य और अकर्तव्य को,], भयाभये [भय और अभय को],
च [तथा], बन्धम् [बन्धन], च [और], मोक्षम् [मोक्ष को], वेत्ति [((यथार्थ)) जानती है-], सा [वह], बुद्धि: [बुद्धि], सात्त्विकी (वर्तते) [सात्त्विकी है।],
च [तथा], बन्धम् [बन्धन], च [और], मोक्षम् [मोक्ष को], वेत्ति [((यथार्थ)) जानती है-], सा [वह], बुद्धि: [बुद्धि], सात्त्विकी (वर्तते) [सात्त्विकी है।],
ANUVAAD
हे पार्थ! जो (बुद्धि) प्रवृत्ति मार्ग और निवृत्ति मार्ग को कर्तव्य और अकर्तव्य को, भय और अभय को
तथा बन्धन और मोक्ष को ((यथार्थ)) जानती है- वह बुद्धि सात्त्विकी है।
तथा बन्धन और मोक्ष को ((यथार्थ)) जानती है- वह बुद्धि सात्त्विकी है।