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Chapter 18 – मोक्षसन्न्यासयोग Shloka-28

Chapter-18_1.28

SHLOKA

अयुक्तः प्राकृतः स्तब्धः शठो नैष्कृतिकोऽलसः।
विषादी दीर्घसूत्री च कर्ता तामस उच्यते।।18.28।।

PADACHHED

अयुक्त:, प्राकृत:, स्तब्ध:, शठ:, नैष्कृतिक:_अलस:,
विषादी, दीर्घ-सूत्री, च, कर्ता, तामस:, उच्यते ॥ २८ ॥

ANAVYA

(यः) कर्ता अयुक्त: प्राकृत: स्तब्ध: शठ: नैष्कृतिक: (च)
विषादी अलस: च दीर्घसूत्री (अस्ति) (सः) तामस: उच्यते।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

(यः) कर्ता [(जो) कर्ता], अयुक्त: [अयुक्त,], प्राकृत: [शिक्षा से रहित,], स्तब्ध: [घमण्डी,], शठ: [धूर्त], नैष्कृतिक: (च) [और दूसरों की जीविका का नाश करने वाला (तथा)],
विषादी [शोक करने वाला,], अलस: [आलसी], च [और], दीर्घसूत्री (अस्ति) [दीर्घसूत्री है-], {(सः) वह]}, तामस: [तामस], उच्यते [कहा जाता है।],

ANUVAAD

(जो) कर्ता अयुक्त, शिक्षा से रहित, घमण्डी, धूर्त और दूसरों की जीविका का नाश करने वाला (तथा)
शोक करने वाला, आलसी और दीर्घसूत्री है- (वह) तामस कहा जाता है।

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