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Chapter 18 – मोक्षसन्न्यासयोग Shloka-11

Chapter-18_1.11

SHLOKA

न हि देहभृता शक्यं त्यक्तुं कर्माण्यशेषतः।
यस्तु कर्मफलत्यागी स त्यागीत्यभिधीयते।।18.11।।

PADACHHED

न, हि, देह-भृता, शक्यम्‌, त्यक्तुम्‌, कर्माणि_अशेषत:,
य:_तु, कर्म-फल-त्यागी, स:, त्यागी_इति_अभिधीयते ॥ ११ ॥

ANAVYA

हि देहभृता अशेषत: कर्माणि त्यक्तुं न शक्यम्,
(तस्मात्) य: कर्मफलत्यागी (अस्ति) स: तु त्यागी इति अभिधीयते।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

हि [क्योंकि], देहभृता [शरीरधारी ((किसी भी मनुष्य)) के द्वारा], अशेषत: [सम्पूर्णता से], कर्माणि [((सब)) कर्मों का], त्यक्तुम् [त्याग किया जाना], न शक्यम् [सम्भव नहीं है;],
{(तस्मात्) [इसलिये]}, य: [जो], कर्मफलत्यागी (अस्ति) [कर्मफल का त्यागी है,], स: तु [वही], त्यागी [त्यागी है-], इति [ऐसा], अभिधीयते [कहा जाता है।]

ANUVAAD

क्योंकि शरीरधारी ((किसी भी मनुष्य)) के द्वारा सम्पूर्णता से ((सब)) कर्मों का त्याग किया जाना सम्भव नहीं है;
(इसलिये) जो कर्मफल का त्यागी है, वही त्यागी है- ऐसा कहा जाता है।

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