Chapter 17 – श्रद्धात्रयविभागयोग Shloka-23
SHLOKA
ॐ तत्सदिति निर्देशो ब्रह्मणस्त्रिविधः स्मृतः।
ब्राह्मणास्तेन वेदाश्च यज्ञाश्च विहिताः पुरा।।17.23।।
ब्राह्मणास्तेन वेदाश्च यज्ञाश्च विहिताः पुरा।।17.23।।
PADACHHED
ॐ, तत्_सत्_इति, निर्देश: ब्रह्मण:_त्रिविध:, स्मृत:,
ब्राह्मणा:_तेन, वेदा:_च, यज्ञा:_च, विहिता:, पुरा ॥ २३ ॥
ब्राह्मणा:_तेन, वेदा:_च, यज्ञा:_च, विहिता:, पुरा ॥ २३ ॥
ANAVYA
ॐ तत् सत् इति त्रिविध: ब्रह्मण: निर्देश: स्मृत:
तेन पुरा ब्राह्मणा: च वेदा: च यज्ञा: विहिता:।
तेन पुरा ब्राह्मणा: च वेदा: च यज्ञा: विहिता:।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
[ॐ तत् सत् -], इति [ऐसे ((यह))], त्रिविध: [तीन प्रकार का], ब्रह्मण: [((सच्चिदानन्दघन)) ब्रह्म का], निर्देश: [नाम], स्मृत: [कहा है;],
तेन [उसी से], पुरा [सृष्टि के आदि काल में], ब्राह्मणा: [ब्राह्मण], च [और], वेदा: [वेद], च [तथा], यज्ञा: [यज्ञादि], विहिता: [रचे गये।]',
तेन [उसी से], पुरा [सृष्टि के आदि काल में], ब्राह्मणा: [ब्राह्मण], च [और], वेदा: [वेद], च [तथा], यज्ञा: [यज्ञादि], विहिता: [रचे गये।]',
ANUVAAD
ॐ तत् सत् ऐसे ((यह)) तीन प्रकार का ((सच्चिदानन्दघन)) ब्रह्म का नाम कहा है;
उसी से सृष्टि के आदि काल में ब्राह्मण और वेद तथा यज्ञादि रचे गये।
उसी से सृष्टि के आदि काल में ब्राह्मण और वेद तथा यज्ञादि रचे गये।