Chapter 16 – दैवासुरसम्पद्विभागयोग Shloka-9

Chapter-16_1.9

SHLOKA (श्लोक)

एतां दृष्टिमवष्टभ्य नष्टात्मानोऽल्पबुद्धयः।
प्रभवन्त्युग्रकर्माणः क्षयाय जगतोऽहिताः।।16.9।।

PADACHHED (पदच्छेद)

एताम्‌, दृष्टिम्_अवष्टभ्य, नष्टात्मान:_अल्प-बुद्धय:,
प्रभवन्ति_उग्र-कर्माण:, क्षयाय, जगत:_अहिता: ॥ ९ ॥

ANAVYA (अन्वय-हिन्दी)

एतां दृष्टिम् अवष्टभ्य नष्टात्मान: (च) अल्पबुद्धय: (ते)
अहिता: उग्रकर्माण: जगत: क्षयाय (एव) प्रभवन्ति।

Hindi-Word-Translation (हिन्दी शब्दार्थ)

एताम् [इस], दृष्टिम् [मिथ्या ज्ञान को], अवष्टभ्य [अवलम्बन करके], नष्टात्मान: (च) [जिनका स्वभाव नष्ट हो गया है (तथा),], अल्पबुद्धय: [जिनकी बुद्धि मन्द है], {(ते) [वे]},
अहिता: [सबका अपकार करने वाले], उग्रकर्माण: [क्रूरकर्मी ((मनुष्य केवल))], जगत: [जगत् के], क्षयाय (एव) [नाश के लिये (ही)], प्रभवन्ति [समर्थ होते हैं।],

हिन्दी भाषांतर

इस मिथ्या ज्ञान को अवलम्बन करके जिनका स्वभाव नष्ट हो गया है (तथा), जिनकी बुद्धि मन्द है (वे)
सबका अपकार करने वाले क्रूरकर्मी ((मनुष्य केवल)) जगत् के नाश के लिये (ही) समर्थ होते हैं।

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