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Chapter 16 – दैवासुरसम्पद्विभागयोग Shloka-10

Chapter-16_1.10

SHLOKA

काममाश्रित्य दुष्पूरं दम्भमानमदान्विताः।
मोहाद्गृहीत्वासद्ग्राहान्प्रवर्तन्तेऽशुचिव्रताः।।16.10।।

PADACHHED

कामम्_आश्रित्य, दुष्पूरम्, दम्भ-मान-मदान्विता:,
मोहात्_गृहीत्वा_असद्ग्राहान्_प्रवर्तन्ते_अशुचि-व्रता: ॥ १० ॥

ANAVYA

(ते) दम्भमानमदान्विता: दुष्पूरं कामम्‌ आश्रित्य मोहात्‌
असद्ग्राहान्‌ गृहीत्वा (च) अशुचिव्रता: (लोके) प्रवर्तन्ते।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

(ते) दम्भमानमदान्विता: [(वे) दम्भ, मान और मद से युक्त ((मनुष्य))], दुष्पूरम् [किसी प्रकार भी पूर्ण न हाने वाली], कामम् [कामनाओं का], आश्रित्य [आश्रय लेकर], मोहात् [अज्ञान से],
असद्ग्राहान् [मिथ्या सिद्धान्तों को], गृहीत्वा (च) [ग्रहण करके (और)], अशुचिव्रता: [भ्रष्ट आचरणों को धारण करके], {(लोके) [संसार में]}, प्रवर्तन्ते [विचरते हैं।],

ANUVAAD

(वे) दम्भ, मान और मद से युक्त ((मनुष्य)) किसी प्रकार भी पूर्ण न हाने वाली कामनाओं का आश्रय लेकर अज्ञान से
मिथ्या सिद्धान्तों को ग्रहण करके (और) भ्रष्ट आचरणों को धारण करके (संसार में) विचरते हैं।

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