Chapter 16 – दैवासुरसम्पद्विभागयोग Shloka-12
SHLOKA
आशापाशशतैर्बद्धाः कामक्रोधपरायणाः।
ईहन्ते कामभोगार्थमन्यायेनार्थसञ्चयान्।।16.12।।
ईहन्ते कामभोगार्थमन्यायेनार्थसञ्चयान्।।16.12।।
PADACHHED
आशा-पाश-शतै:_बद्धा:, काम-क्रोध-परायणा:,
ईहन्ते, काम-भोगार्थम्_अन्यायेन_अर्थ-सञ्चयान् ॥ १२ ॥
ईहन्ते, काम-भोगार्थम्_अन्यायेन_अर्थ-सञ्चयान् ॥ १२ ॥
ANAVYA
(ते) आशापाशशतै: बद्धा: कामक्रोधपरायणा:
कामभोगार्थम् अन्यायेन अर्थसञ्चयान् ईहन्ते।
कामभोगार्थम् अन्यायेन अर्थसञ्चयान् ईहन्ते।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
(ते) आशापाशशतै: [(वे) आशा की सैकड़ों फाँसियों से], बद्धा: [बँधे हुए ((मनुष्य))], कामक्रोधपरायणा: [काम-क्रोध के परायण होकर],
कामभोगार्थम् [विषय-भोगों के लिये], अन्यायेन [अन्याय पूर्वक], अर्थसञ्चयान् [धनादि पदार्थों को संग्रह करने की], ईहन्ते [चेष्टा करते रहते हैं।],
कामभोगार्थम् [विषय-भोगों के लिये], अन्यायेन [अन्याय पूर्वक], अर्थसञ्चयान् [धनादि पदार्थों को संग्रह करने की], ईहन्ते [चेष्टा करते रहते हैं।],
ANUVAAD
(वे) आशा की सैकड़ों फाँसियों से बँधे हुए ((मनुष्य)) काम-क्रोध के परायण होकर
विषय-भोगों के लिये अन्याय पूर्वक धनादि पदार्थों को संग्रह करने की चेष्टा करते रहते हैं।
विषय-भोगों के लिये अन्याय पूर्वक धनादि पदार्थों को संग्रह करने की चेष्टा करते रहते हैं।