Chapter 16 – दैवासुरसम्पद्विभागयोग Shloka-11
SHLOKA
चिन्तामपरिमेयां च प्रलयान्तामुपाश्रिताः।
कामोपभोगपरमा एतावदिति निश्चिताः।।16.11।।
कामोपभोगपरमा एतावदिति निश्चिताः।।16.11।।
PADACHHED
चिन्ताम्_अपरिमेयाम्, च, प्रलयान्ताम्_उपाश्रिता:,
कामोपभोग-परमा:, एतावत्_इति, निश्चिता: ॥ ११ ॥
कामोपभोग-परमा:, एतावत्_इति, निश्चिता: ॥ ११ ॥
ANAVYA
(अपि च) (ते) प्रलयान्ताम् अपरिमेयां चिन्ताम् उपाश्रिता:
कामोपभोगपरमा: च एतावत् (सुखम्) इति निश्चिता:।
कामोपभोगपरमा: च एतावत् (सुखम्) इति निश्चिता:।
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(अपि च) (ते) प्रलयान्ताम् [(तथा) (वे) मृत्यु पर्यन्त रहने वाली], अपरिमेयाम् [असंख्य], चिन्ताम् [चिन्ताओं का], उपाश्रिता: [आश्रय लेने वाले,],
कामोपभोगपरमा: [विषय भोगों के भोगने में तत्पर रहने वाले], च [और], "एतावत् (सुखम्) [इतना ही (सुख है)]", इति [इस प्रकार], निश्चिता: [मानने वाले होते हैं।],
कामोपभोगपरमा: [विषय भोगों के भोगने में तत्पर रहने वाले], च [और], "एतावत् (सुखम्) [इतना ही (सुख है)]", इति [इस प्रकार], निश्चिता: [मानने वाले होते हैं।],
ANUVAAD
(तथा) (वे) मृत्यु पर्यन्त रहने वाली असंख्य चिन्ताओं का आश्रय लेने वाले,
विषय भोगों के भोगने में तत्पर रहने वाले और इतना ही (सुख है) इस प्रकार मानने वाले होते हैं।
विषय भोगों के भोगने में तत्पर रहने वाले और इतना ही (सुख है) इस प्रकार मानने वाले होते हैं।