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Chapter 15 – पुरुषोत्तमयोग Shloka-6

Chapter-15_1.6

SHLOKA

न तद्भासयते सूर्यो न शशाङ्को न पावकः।
यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम।।15.6।।

PADACHHED

न, तत्_भासयते, सूर्य:, न, शशाङ्क:, न, पावक:,
यत्_गत्वा, न, निवर्तन्ते, तत्_धाम, परमम्, मम ॥ ६ ॥

ANAVYA

यत्‌ गत्वा (जनाः) न निवर्तन्ते, तत्‌ न सूर्य:
भासयते न शशाङ्क: न (च) पावक: (एव) तत्‌ मम परमं धाम (वर्तते।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

यत् [जिस ((परमपद)) को], गत्वा [प्राप्त होकर], {(जनाः) [मनुष्य]}, न निवर्तन्ते [लौटकर ((संसार में)) नहीं आते,], तत् [उस ((स्वयं प्रकाश परमपद को))], न [न], सूर्य: [सूर्य],
भासयते [प्रकाशित कर सकता है], न [न], शशाङ्क: [चन्द्रमा], न (च) [ (और) न], पावक: (एव) [अग्नि (ही);], तत् [वही], मम [मेरा], परमं धाम (वर्तते) [परम धाम है।]',

ANUVAAD

जिस ((परमपद)) को प्राप्त होकर (मनुष्य) लौटकर ((संसार में)) नहीं आते, उस ((स्वयं प्रकाश परमपद को)) न सूर्य
प्रकाशित कर सकता है न चन्द्रमा (और) न अग्नि (ही); वही मेरा परम धाम है।

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