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Chapter 13 – क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोग/क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग Shloka-9

Chapter-13_1.9

SHLOKA

असक्तिरनभिष्वङ्गः पुत्रदारगृहादिषु।
नित्यं च समचित्तत्वमिष्टानिष्टोपपत्तिषु।।13.9।।

PADACHHED

असक्ति:_अनभिष्वङ्ग:, पुत्र-दार-गृहादिषु,
नित्यम्‌ , च, सम-चित्तत्वम्_इष्टानिष्टोपपत्तिषु ॥ ९ ॥

ANAVYA

पुत्रदारगृहादिषु असक्ति: अनभिष्वङ्ग: च
इष्टानिष्टोपपत्तिषु नित्यम्‌ समचित्तत्वम्‌ -

ANAVYA-INLINE-GLOSS

पुत्रदारगृहादिषु [पुत्र-स्त्री-घर और धन आदि में], असक्ति: [आसक्ति का अभाव,], अनभिष्वङ्ग: [ममता का न होना], च [तथा],
इष्टानिष्टोपपत्तिषु [प्रिय और अप्रिय की प्राप्ति में], नित्यम् [सदा ही], समचित्तत्वम् [चित्त का सम रहना -],

ANUVAAD

पुत्र-स्त्री-घर और धन आदि में आसक्ति का अभाव, ममता का न होना तथा
प्रिय और अप्रिय की प्राप्ति में सदा ही चित्त का सम रहना -

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