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Chapter 13 – क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोग/क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग Shloka-8

Chapter-13_1.8

SHLOKA

इन्द्रियार्थेषु वैराग्यमनहङ्कार एव च।
जन्ममृत्युजराव्याधिदुःखदोषानुदर्शनम्।।13.8।।

PADACHHED

इन्द्रियार्थेषु, वैराग्यम्_अनहङ्कार:, एव, च,
जन्म-मृत्यु-जरा-व्याधि-दु:ख-दोषानुदर्शनम्‌ ॥ ८ ॥

ANAVYA

इन्द्रियार्थेषु वैराग्यं च
अनहङ्कार: एव जन्ममृत्युजराव्याधिदु:खदोषानुदर्शनम्‌।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

इन्द्रियार्थेषु [इन्द्रियों के ((शब्दादि)) विषयों में], वैराग्यम् [आसक्ति का अभाव], च [और],
अनहङ्कार: एव [अहंकार का भी अभाव], जन्ममृत्युजराव्याधिदु:खदोषानुदर्शनम् [जन्म, मृत्यु, जरा और रोग आदि में दु:ख और दोषों का बार-बार विचार करना-],

ANUVAAD

इन्द्रियों के ((शब्दादि)) विषयों में आसक्ति का अभाव और
अहंकार का भी अभाव, जन्म, मृत्यु, जरा और रोग आदि में दु:ख और दोषों का बार-बार विचार करना-

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