SHLOKA (श्लोक)
सर्वतः पाणिपादं तत्सर्वतोऽक्षिशिरोमुखम्।
सर्वतः श्रुतिमल्लोके सर्वमावृत्य तिष्ठति।।13.13।।
सर्वतः श्रुतिमल्लोके सर्वमावृत्य तिष्ठति।।13.13।।
PADACHHED (पदच्छेद)
सर्वत:, पाणि-पादम्, तत्_सर्वतो-अक्षि-शिरो-मुखम्,
सर्वत: श्रुतिमत्_लोके, सर्वम्_आवृत्य, तिष्ठति ॥ १३ ॥
सर्वत: श्रुतिमत्_लोके, सर्वम्_आवृत्य, तिष्ठति ॥ १३ ॥
ANAVYA (अन्वय-हिन्दी)
तत् सर्वत: पाणिपादं सर्वतोअक्षिशिरोमुखम् (तथा)
सर्वत: श्रुतिमत् (वर्तते), (यत:) (तत्) लोके सर्वम् आवृत्य तिष्ठति।
सर्वत: श्रुतिमत् (वर्तते), (यत:) (तत्) लोके सर्वम् आवृत्य तिष्ठति।
Hindi-Word-Translation (हिन्दी शब्दार्थ)
तत् [वह], सर्वत: पाणिपादम् [सब ओर हाथ-पैर वाला,], सर्वतोअक्षिशिरोमुखम् (तथा) [सब ओर नेत्र, सिर और मुख वाला (तथा)],
सर्वत: श्रुतिमत् (वर्तते) [सब ओर कान वाला है।], {(यत:) [क्योंकि]}, {(तत्) [वह]}, लोके [संसार में], सर्वम् [सबको], आवृत्य [व्याप्त करके], तिष्ठति [स्थित है।],
सर्वत: श्रुतिमत् (वर्तते) [सब ओर कान वाला है।], {(यत:) [क्योंकि]}, {(तत्) [वह]}, लोके [संसार में], सर्वम् [सबको], आवृत्य [व्याप्त करके], तिष्ठति [स्थित है।],
हिन्दी भाषांतर
वह सब ओर हाथ-पैर वाला, सब ओर नेत्र, सिर और मुख वाला (तथा)
सब ओर कान वाला है, (क्योंकि) (वह) संसार में सबको व्याप्त करके स्थित है।
सब ओर कान वाला है, (क्योंकि) (वह) संसार में सबको व्याप्त करके स्थित है।