SHLOKA
किरीटिनं गदिनं चक्रिणं च
तेजोराशिं सर्वतोदीप्तिमन्तम्।
पश्यामि त्वां दुर्निरीक्ष्यं समन्ता-
द्दीप्तानलार्कद्युतिमप्रमेयम्।।11.17।।
तेजोराशिं सर्वतोदीप्तिमन्तम्।
पश्यामि त्वां दुर्निरीक्ष्यं समन्ता-
द्दीप्तानलार्कद्युतिमप्रमेयम्।।11.17।।
PADACHHED
किरीटिनम्, गदिनम्, चक्रिणम्, च, तेजो-राशिम्, सर्वत:_दीप्तिमन्तम्, पश्यामि, त्वाम्, दुर्निरीक्ष्यम्, समन्तात्_
दीप्तानलार्क-द्युतिम्_अप्रमेयम् ॥ १७ ॥
दीप्तानलार्क-द्युतिम्_अप्रमेयम् ॥ १७ ॥
ANAVYA
त्वां (अहम्) किरीटिनं गदिनं च चक्रिणं (तथा) सर्वत: दीप्तिमन्तं तेजोराशिं
दीप्तानलार्कद्युतिं दुर्निरीक्ष्यं (च) समन्तात् अप्रमेयं पश्यामि ।
दीप्तानलार्कद्युतिं दुर्निरीक्ष्यं (च) समन्तात् अप्रमेयं पश्यामि ।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
त्वाम् (अहम्) [आपको (मैं)], किरीटिनम् [मुकुट से युक्त,], गदिनम् [गदा से युक्त], च [और], चक्रिणम् (तथा) [चक्र से युक्त (तथा)], सर्वत: [सब ओर से], दीप्तिमन्तम् [प्रकाशमान], तेजोराशिम् [तेज के पुंज,],
दीप्तानलार्कद्युतिम् [प्रज्वलित अग्नि और सूर्य के समान ज्योति से युक्त,], दुर्निरीक्ष्यम् (च) [कठिनता से देखे जाने योग्य (और)], समन्तात् [सब ओर से], अप्रमेयम् [अप्रमेय स्वरूप], पश्यामि [देख रहा हूँ।],
दीप्तानलार्कद्युतिम् [प्रज्वलित अग्नि और सूर्य के समान ज्योति से युक्त,], दुर्निरीक्ष्यम् (च) [कठिनता से देखे जाने योग्य (और)], समन्तात् [सब ओर से], अप्रमेयम् [अप्रमेय स्वरूप], पश्यामि [देख रहा हूँ।],
ANUVAAD
आपको (मैं) मुकुट से युक्त, गदा से युक्त और चक्र से युक्त (तथा) सब ओर से प्रकाशमान तेज के पुंज,
प्रज्वलित अग्नि और सूर्य के समान ज्योति से युक्त, कठिनता से देखे जाने योग्य (और) सब ओर से अप्रमेय स्वरूप देख रहा हूँ।
प्रज्वलित अग्नि और सूर्य के समान ज्योति से युक्त, कठिनता से देखे जाने योग्य (और) सब ओर से अप्रमेय स्वरूप देख रहा हूँ।