SHLOKA
बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्।
मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः।।10.35।।
मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः।।10.35।।
PADACHHED
बृहत्साम, तथा, साम्नाम्, गायत्री, छन्दसाम्_अहम्,
मासानाम्, मार्गशीर्ष:_अहम्_ऋतूनाम्, कुसुमाकर: ॥ ३५ ॥
मासानाम्, मार्गशीर्ष:_अहम्_ऋतूनाम्, कुसुमाकर: ॥ ३५ ॥
ANAVYA
तथा साम्नाम् अहं बृहत्साम (च) छन्दसां गायत्री (अस्मि),
मासानां (च) मार्गशीर्ष: ऋतूनां (च) कुसुमाकर: अहम् (अस्मि)।
मासानां (च) मार्गशीर्ष: ऋतूनां (च) कुसुमाकर: अहम् (अस्मि)।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
तथा [तथा], साम्नाम् [गायन करने योग्य श्रुतियों में], अहम् [मैं], बृहत्साम (च) [बृहत्साम (और)], छन्दसाम् [छन्दों में], गायत्री (अस्मि), [गायत्री छन्द हूँ,],
मासानाम् (च) [(तथा) महीनों में], मार्गशीर्ष: [मार्गशीर्ष], ऋतूनाम् (च) [(और) ऋतुओं में], कुसुमाकर: [वसंत], अहम् (अस्मि) [मैं हूँ।],
मासानाम् (च) [(तथा) महीनों में], मार्गशीर्ष: [मार्गशीर्ष], ऋतूनाम् (च) [(और) ऋतुओं में], कुसुमाकर: [वसंत], अहम् (अस्मि) [मैं हूँ।],
ANUVAAD
तथा गायन करने योग्य श्रुतियों में मैं बृहत्साम (और) छन्दों में गायत्री छन्द हूँ (तथा)
महीनों में मार्गशीर्ष (और) ऋतुओं में वसंत मैं हूँ।
महीनों में मार्गशीर्ष (और) ऋतुओं में वसंत मैं हूँ।