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Gita Chapter-10 Shloka-27

Chapter-10_1.27

SHLOKA

उच्चैःश्रवसमश्वानां विद्धि माममृतोद्भवम्।
ऐरावतं गजेन्द्राणां नराणां च नराधिपम्।।10.27।।

PADACHHED

उच्चै:श्रवसम्_अश्वानाम्‌, विद्धि, माम्_अमृतोद्भवम्‌,
ऐरावतम्‌, गजेन्द्राणाम्, नराणाम्‌, च, नराधिपम्‌ ॥ २७ ॥

ANAVYA

अश्वानाम्‌ अमृतोद्भवम्‌ उच्चै:श्रवसम्, गजेन्द्राणाम्
ऐरावतं च नराणां नराधिपं मां विद्धि।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

अश्वानाम् [घोड़ों में], अमृतोद्भवम् [अमृत के साथ उत्पन्न होने वाला], उच्चै:श्रवसम् [उच्चै:श्रवा नामक घोड़ा,], गजेन्द्राणाम् [श्रेष्ठ हाथियों में],
ऐरावतम् [ऐरावत नामक हाथी], च [और], नराणाम् [मनुष्यों में], नराधिपम् [राजा], माम् [मुझको], विद्धि [जानो।],

ANUVAAD

घोड़ों में अमृत के साथ उत्पन्न होने वाला उच्चै:श्रवा नामक घोड़ा, श्रेष्ठ हाथियों में
ऐरावत नामक हाथी और मनुष्यों में राजा मुझको जानो।

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