SHLOKA
स्वयमेवात्मनाऽत्मानं वेत्थ त्वं पुरुषोत्तम।
भूतभावन भूतेश देवदेव जगत्पते।।10.15।।
भूतभावन भूतेश देवदेव जगत्पते।।10.15।।
PADACHHED
स्वयम्_एव_आत्मना_आत्मानम्, वेत्थ, त्वम्, पुरुषोत्तम,
भूत-भावन, भूतेश, देव-देव, जगत्पते ॥ १५ ॥
भूत-भावन, भूतेश, देव-देव, जगत्पते ॥ १५ ॥
ANAVYA
(हे) भूतभावन! (हे) भूतेश! (हे) देवदेव! (हे) जगत्पते! (हे) पुरुषोत्तम!
त्वं स्वयम् एव आत्मना आत्मानं वेत्थ।
त्वं स्वयम् एव आत्मना आत्मानं वेत्थ।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
(हे) भूतभावन! [हे भूतों को उत्पन्न करने वाले!], (हे) भूतेश! [हे भूतों के ईश्वर!], (हे) देवदेव! [हे देवों के देव!], (हे) जगत्पते! [हे जगत् के स्वामी!], (हे) पुरुषोत्तम! [हे पुरुषोत्तम!],
त्वम् [आप], स्वयम् [स्वयं], एव [ही], आत्मना [अपने से], आत्मानम् [अपने को], वेत्थ [जानते हैं।],
त्वम् [आप], स्वयम् [स्वयं], एव [ही], आत्मना [अपने से], आत्मानम् [अपने को], वेत्थ [जानते हैं।],
ANUVAAD
हे भूतों को उत्पन्न करने वाले! हे भूतों के ईश्वर! हे देवों के देव! हे जगत् के स्वामी! हे पुरुषोत्तम!
आप स्वयं ही अपने से अपने को जानते हैं।
आप स्वयं ही अपने से अपने को जानते हैं।