Chapter 10 – विभूतियोग Shloka-10

Chapter-10_1.10

SHLOKA (श्लोक)

तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम्।
ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते।।10.10।।

PADACHHED (पदच्छेद)

तेषाम्‌, सतत-युक्तानाम्‌, भजताम्‌, प्रीति-पूर्वकम्‌,
ददामि, बुद्धि-योगम्, तम्, येन, माम्_उपयान्ति, ते ॥ १० ॥

ANAVYA (अन्वय-हिन्दी)

तेषां सततयुक्तानां (च) प्रीतिपूर्वकं भजतां (अहम्)
तं बुद्धियोगं ददामि येन ते माम् (एव) उपयान्ति।

Hindi-Word-Translation (हिन्दी शब्दार्थ)

तेषाम् [उन], सततयुक्तानाम् (च) [निरन्तर मेरे ध्यान आदि में लगे हुए (और)], प्रीतिपूर्वकम् [प्रेमपूर्वक], भजताम् (अहम्) [भजने वाले ((भक्तों)) को (मैं)],
तम् [वह], बुद्धियोगम् [तत्त्वज्ञानरूप योग], ददामि [देता हूँ,], येन [जिससे], ते [वे], माम् (एव) [मुझको (ही)], उपयान्ति [प्राप्त होते हैं।],

हिन्दी भाषांतर

उन निरन्तर मेरे ध्यान आदि में लगे हुए (और) प्रेमपूर्वक भजने वाले ((भक्‍तों)) को (मैं)
वह तत्त्वज्ञानरूप योग देता हूँ जिससे वे मुझको (ही) प्राप्त होते हैं।

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