SHLOKA
तान्समीक्ष्य स कौन्तेयः सर्वान्बन्धूनवस्थितान्।।1.27.2।।
कृपया परयाऽऽविष्टो विषीदन्निदमब्रवीत्।।1.28.1।।
कृपया परयाऽऽविष्टो विषीदन्निदमब्रवीत्।।1.28.1।।
PADACHHED
तान्_समीक्ष्य, स:, कौन्तेय:, सर्वान्_बन्धून्_अवस्थितान्, ॥ २७ ॥
कृपया, परया_आविष्ट:, विषीदन्_इदम्_अब्रवीत् ॥२८.१॥
कृपया, परया_आविष्ट:, विषीदन्_इदम्_अब्रवीत् ॥२८.१॥
ANAVYA
तान् अवस्थितान् सर्वान् बन्धून् समीक्ष्य स: कौन्तेय:
परया कृपया आविष्ट: विषीदन् इदम् (वचनम्) अब्रवीत्।
परया कृपया आविष्ट: विषीदन् इदम् (वचनम्) अब्रवीत्।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
तान् [उन], अवस्थितान् [उपस्थित], सर्वान् [सम्पूर्ण], बन्धून् [बन्धुओं को], समीक्ष्य [देखकर], स: [वे], कौन्तेय: [कुन्ती के पुत्र ((अर्जुन))],
परया [अत्यन्त], कृपया [करुणा से], आविष्ट: [युक्त होकर], विषीदन् [शोक करते हुए], इदम् [यह], {(वचनम्) [वचन]}, अब्रवीत् [बोले।],
परया [अत्यन्त], कृपया [करुणा से], आविष्ट: [युक्त होकर], विषीदन् [शोक करते हुए], इदम् [यह], {(वचनम्) [वचन]}, अब्रवीत् [बोले।],
ANUVAAD
उन उपस्थित सम्पूर्ण बन्धुओं को देखकर वे कुन्ती के पुत्र ((अर्जुन))
अत्यन्त करुणा से युक्त होकर शोक करते हुए यह (वचन) बोले।
अत्यन्त करुणा से युक्त होकर शोक करते हुए यह (वचन) बोले।