SHLOKA
अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम्।
पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम्।।1.10।।
पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम्।।1.10।।
PADACHHED
अपर्याप्तम्, तत्_अस्माकम्, बलम्, भीष्माभि-रक्षितम्,
पर्याप्तम्, तु_इद्_एतेषाम्, बलम्, भीमाभि-रक्षितम् ॥ १० ॥
पर्याप्तम्, तु_इद्_एतेषाम्, बलम्, भीमाभि-रक्षितम् ॥ १० ॥
ANAVYA
भीष्माभिरक्षितम् अस्माकं तत् बलम् अपर्याप्तम्,
तु भीमाभिरक्षितम् एतेषाम् इदं बलं पर्याप्तम्।
तु भीमाभिरक्षितम् एतेषाम् इदं बलं पर्याप्तम्।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
भीष्माभिरक्षितम् [भीष्म ((पितामह)) द्वारा रक्षित], अस्माकम् [हमारी], तत् [वह], बलम् [सेना], अपर्याप्तम् [सब प्रकार से अजेय है],
तु [और], भीमाभिरक्षितम् [भीम द्वारा रक्षित], एतेषाम् [इन लोगों की], इदम् [यह], बलम् [सेना], पर्याप्तम् [जीतने में सुगम है।],
तु [और], भीमाभिरक्षितम् [भीम द्वारा रक्षित], एतेषाम् [इन लोगों की], इदम् [यह], बलम् [सेना], पर्याप्तम् [जीतने में सुगम है।],
ANUVAAD
भीष्म ((पितामह)) द्वारा रक्षित हमारी वह सेना सब प्रकार से अजेय है
और भीम द्वारा रक्षित इन लोगों की यह सेना जीतने में सुगम है।
और भीम द्वारा रक्षित इन लोगों की यह सेना जीतने में सुगम है।