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Chapter 12 – भक्तियोग Shloka-8

Chapter-12_1.8

SHLOKA

मय्येव मन आधत्स्व मयि बुद्धिं निवेशय।
निवसिष्यसि मय्येव अत ऊर्ध्वं न संशयः।।12.8।।

PADACHHED

मयि_एव, मन:, आधत्स्व, मयि, बुद्धिम्, निवेशय,
निवसिष्यसि, मयि_एव, अत:, ऊर्ध्वम्‌, न, संशय: ॥ ८ ॥

ANAVYA

मयि मन: आधत्स्व (च) मयि एव बुद्धिं निवेशय अत:
ऊर्ध्वं (त्वम्) मयि एव निवसिष्यसि, (अत्र) संशय: न (अस्ति)।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

मयि [मुझमें], मन: [मन को], आधत्स्व (च) [लगाओ (और)], मयि [मुझमें], एव [ही], बुद्धिम् [बुद्धि को], निवेशय [लगाओ;], अत: [इसके],
ऊर्ध्वम् (त्वम्) [उपरान्त (तुम)], मयि [मुझमें], एव [ही], निवसिष्यसि [निवास करोगे,], {(अत्र) [इसमें ((कुछ भी))]}, संशय: [संशय], न (अस्ति) [नहीं है।],

ANUVAAD

मुझमें मन को लगाओ (और) मुझमें ही बुद्धि को लगाओ; इसके
उपरान्त (तुम) मुझमें ही निवास करोगे, (इसमें) ((कुछ भी)) संशय नहीं है।

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