SHLOKA (श्लोक)
मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना।
मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेष्ववस्थितः।।9.4।।
मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेष्ववस्थितः।।9.4।।
PADACHHED (पदच्छेद)
मया, ततम्_इदम्, सर्वम्, जगत्_अव्यक्त-मूर्तिना,
मत्स्थानि, सर्व-भूतानि, न, च_अहम्, तेषु_अवस्थित: ॥ ४ ॥
मत्स्थानि, सर्व-भूतानि, न, च_अहम्, तेषु_अवस्थित: ॥ ४ ॥
ANAVYA (अन्वय-हिन्दी)
मया अव्यक्तमूर्तिना इदं सर्वं जगत् ततं च
सर्वभूतानि मत्स्थानि (अवस्थितः), (किंतु) अहं तेषु न अवस्थित:।
सर्वभूतानि मत्स्थानि (अवस्थितः), (किंतु) अहं तेषु न अवस्थित:।
Hindi-Word-Translation (हिन्दी शब्दार्थ)
मया [मुझ], अव्यक्तमूर्तिना [निराकार परमात्मा से], इदम् [यह], सर्वम् [सब], जगत् [जगत्], ततम् [परिपूर्ण है], च [और],
सर्वभूतानि [सम्पूर्ण चराचर जगत्], मत्स्थानि (अवस्थितः) [मेरे भीतर विद्यमान है,], {[(किंतु) (किन्तु) ((वास्तव में))], अहम् [मैं], तेषु [उनमें], न अवस्थित: [स्थित नहीं हूँ।],
सर्वभूतानि [सम्पूर्ण चराचर जगत्], मत्स्थानि (अवस्थितः) [मेरे भीतर विद्यमान है,], {[(किंतु) (किन्तु) ((वास्तव में))], अहम् [मैं], तेषु [उनमें], न अवस्थित: [स्थित नहीं हूँ।],
हिन्दी भाषांतर
मुझ निराकार परमात्मा से यह सब जगत् परिपूर्ण है और
सम्पूर्ण चराचर जगत् मेरे भीतर विद्यमान हैं, (किन्तु) ((वास्तव में)) मैं उनमें स्थित नहीं हूँ।
सम्पूर्ण चराचर जगत् मेरे भीतर विद्यमान हैं, (किन्तु) ((वास्तव में)) मैं उनमें स्थित नहीं हूँ।