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Chapter 9 – राजविद्याराजगुह्ययोग Shloka-21

Chapter-9_1.21

SHLOKA

ते तं भुक्त्वा स्वर्गलोकं विशालं
क्षीणे पुण्ये मर्त्यलोकं विशन्ति।
एवं त्रयीधर्ममनुप्रपन्ना
गतागतं कामकामा लभन्ते।।9.21।।

PADACHHED

ते, तम्‌, भुक्‍त्वा, स्वर्ग-लोकम्‌, विशालम्‌, क्षीणे, पुण्ये,
मर्त्य-लोकम्‌, विशन्ति, एवम्‌, त्रयी-धर्मम्_अनुप्रपन्‍ना:,
गतागतम्‌, काम-कामा:, लभन्ते ॥ २१ ॥

ANAVYA

ते तं विशालं स्वर्गलोकं भुक्‍त्वा पुण्ये क्षीणे मर्त्यलोकं विशन्ति, एवं त्रयीधर्मम्‌
अनुप्रपन्‍ना: (च) कामकामा: (पुरुषाः) गतागतं लभन्ते।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

ते [वे], तम् [उस], विशालम् [विशाल], स्वर्गलोकम् [स्वर्ग लोक को], भुक्त्वा [भोगकर], पुण्ये [पुण्य], क्षीणे [क्षीण होने पर], मर्त्यलोकम् [मृत्यु लोक को], विशन्ति [प्राप्त होते हैं।], एवम् [इस प्रकार ((स्वर्ग के साधनरूप))], त्रयीधर्मम् [तीनों वेदों में कहे हुए सकाम कर्म का],
अनुप्रपन्ना: (च) [आश्रय लेने वाले (और)], कामकामा: (पुरुषाः) [भोगों की कामना वाले (पुरुष)], गतागतम् [बार-बार आवागमन को], लभन्ते [प्राप्त होते हैं अर्थात् पुण्य के प्रभाव से स्वर्ग में जाते हैं और पुण्य क्षीण होने पर मृत्यु लोक में आते हैं।],

ANUVAAD

वे उस विशाल स्वर्ग लोक को भोगकर पुण्य क्षीण होने पर मृत्यु लोक को प्राप्त होते हैं। इस प्रकार ((स्वर्ग के साधनरूप)) तीनों वेदों में कहे हुए सकाम कर्म का
आश्रय लेने वाले (और) भोगों की कामना वाले (पुरुष) बार-बार आवागमन को प्राप्त होते हैं अर्थात्‌ पुण्य के प्रभाव से स्वर्ग में जाते हैं और पुण्य क्षीण होने पर मृत्यु लोक में आते हैं।

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