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Chapter 8 – तारकब्रह्मयोग/अक्षरब्रह्मयोग Shloka-15

Chapter-8_1.15

SHLOKA

मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम्।
नाप्नुवन्ति महात्मानः संसिद्धिं परमां गताः।।8.15।।

PADACHHED

माम्_उपेत्य, पुनर्जन्म, दुःखालयम्_अशाश्वतम्,
न_आप्नुवन्ति, महात्मान:, संसिद्धिम्, परमाम्, गता: ॥ १५ ॥

ANAVYA

परमां संसिद्धिं गता: महात्मान:
माम् उपेत्य दुःखालयम् (च) अशाश्वतं पुनर्जन्म न आप्नुवन्ति।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

परमाम् [परम], संसिद्धिम् [सिद्धि को], गता: [प्राप्त], महात्मान: [महात्मा लोग],
माम् [मुझको], उपेत्य [प्राप्त होकर], दुःखालयम् (च) [दुःखों के घर (एवं)], अशाश्वतम् [क्षणभंगुर], पुनर्जन्म [पुनर्जन्म को], न [नहीं], आप्नुवन्ति [प्राप्त होते।],

ANUVAAD

परम सिद्धि को प्राप्त महात्मा लोग
मुझको प्राप्त होकर दुःखों के घर (एवं) क्षणभंगुर पुनर्जन्म को नहीं प्राप्त होते।

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