SHLOKA
मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम्।
नाप्नुवन्ति महात्मानः संसिद्धिं परमां गताः।।8.15।।
नाप्नुवन्ति महात्मानः संसिद्धिं परमां गताः।।8.15।।
PADACHHED
माम्_उपेत्य, पुनर्जन्म, दुःखालयम्_अशाश्वतम्,
न_आप्नुवन्ति, महात्मान:, संसिद्धिम्, परमाम्, गता: ॥ १५ ॥
न_आप्नुवन्ति, महात्मान:, संसिद्धिम्, परमाम्, गता: ॥ १५ ॥
ANAVYA
परमां संसिद्धिं गता: महात्मान:
माम् उपेत्य दुःखालयम् (च) अशाश्वतं पुनर्जन्म न आप्नुवन्ति।
माम् उपेत्य दुःखालयम् (च) अशाश्वतं पुनर्जन्म न आप्नुवन्ति।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
परमाम् [परम], संसिद्धिम् [सिद्धि को], गता: [प्राप्त], महात्मान: [महात्मा लोग],
माम् [मुझको], उपेत्य [प्राप्त होकर], दुःखालयम् (च) [दुःखों के घर (एवं)], अशाश्वतम् [क्षणभंगुर], पुनर्जन्म [पुनर्जन्म को], न [नहीं], आप्नुवन्ति [प्राप्त होते।],
माम् [मुझको], उपेत्य [प्राप्त होकर], दुःखालयम् (च) [दुःखों के घर (एवं)], अशाश्वतम् [क्षणभंगुर], पुनर्जन्म [पुनर्जन्म को], न [नहीं], आप्नुवन्ति [प्राप्त होते।],
ANUVAAD
परम सिद्धि को प्राप्त महात्मा लोग
मुझको प्राप्त होकर दुःखों के घर (एवं) क्षणभंगुर पुनर्जन्म को नहीं प्राप्त होते।
मुझको प्राप्त होकर दुःखों के घर (एवं) क्षणभंगुर पुनर्जन्म को नहीं प्राप्त होते।