Chapter 7 – ज्ञानविज्ञानयोग Shloka-24
SHLOKA
अव्यक्तं व्यक्तिमापन्नं मन्यन्ते मामबुद्धयः।
परं भावमजानन्तो ममाव्ययमनुत्तमम्।।7.24।।
परं भावमजानन्तो ममाव्ययमनुत्तमम्।।7.24।।
PADACHHED
अव्यक्तम्, व्यक्तिम्_आपन्नम्, मन्यन्ते, माम्_अबुद्धय:,
परम्, भावम्_अजानन्त:, मम_अव्ययम्_अनुत्तमम् ॥ २४ ॥
परम्, भावम्_अजानन्त:, मम_अव्ययम्_अनुत्तमम् ॥ २४ ॥
ANAVYA
अबुद्धय: मम अनुत्तमम् अव्ययं परं भावम्
अजानन्त: अव्यक्तं मां व्यक्तिम् आपन्नं मन्यन्ते।
अजानन्त: अव्यक्तं मां व्यक्तिम् आपन्नं मन्यन्ते।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
अबुद्धय: [बुद्धिहीन ((पुरुष))], मम [मेरे], अनुत्तमम् [अनुत्तम], अव्ययम् [अविनाशी], परम् [परम], भावम् [भाव को],
अजानन्त: [न जानते हुए], अव्यक्तम् [मन-इन्द्रियों से परे], माम् [मुझ ((सच्चिदानन्दघन परमात्मा)) को ((मनुष्य की भाँति जन्मकर))], व्यक्तिम् [व्यक्ति-भाव को], आपन्नम् [प्राप्त हुआ], मन्यन्ते [मानते हैं।]
अजानन्त: [न जानते हुए], अव्यक्तम् [मन-इन्द्रियों से परे], माम् [मुझ ((सच्चिदानन्दघन परमात्मा)) को ((मनुष्य की भाँति जन्मकर))], व्यक्तिम् [व्यक्ति-भाव को], आपन्नम् [प्राप्त हुआ], मन्यन्ते [मानते हैं।]
ANUVAAD
बुद्धिहीन ((पुरुष)) मेरे अनुत्तम अविनाशी परम भाव को
न जानते हुए मन-इन्द्रियों से परे मुझ ((सच्चिदानन्दघन परमात्मा)) को ((मनुष्य की भाँति जन्मकर)) व्यक्ति-भाव को प्राप्त हुआ मानते हैं।
न जानते हुए मन-इन्द्रियों से परे मुझ ((सच्चिदानन्दघन परमात्मा)) को ((मनुष्य की भाँति जन्मकर)) व्यक्ति-भाव को प्राप्त हुआ मानते हैं।