SHLOKA (श्लोक)
चतुर्विधा भजन्ते मां जनाः सुकृतिनोऽर्जुन।
आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ।।7.16।।
आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ।।7.16।।
PADACHHED (पदच्छेद)
चतुर्विधा:, भजन्ते, माम्, जना:, सुकृतिन:_अर्जुन,
आर्त:, जिज्ञासु:_अर्थार्थी, ज्ञानी, च, भरतर्षभ ॥ १६ ॥
आर्त:, जिज्ञासु:_अर्थार्थी, ज्ञानी, च, भरतर्षभ ॥ १६ ॥
ANAVYA (अन्वय-हिन्दी)
(हे) भरतर्षभ अर्जुन! सुकृतिन: अर्थार्थी आर्त: जिज्ञासु:
च ज्ञानी (ईदृशाः) चतुर्विधा: जना: मां भजन्ते।
च ज्ञानी (ईदृशाः) चतुर्विधा: जना: मां भजन्ते।
Hindi-Word-Translation (हिन्दी शब्दार्थ)
(हे) भरतर्षभ अर्जुन! [हे भरतवंशियों में श्रेष्ठ अर्जुन!], सुकृतिन: [उत्तम कर्म करने वाले], अर्थार्थी [अर्थार्थी,], आर्त: [आर्त,], जिज्ञासु: [जिज्ञासु],
च [और], ज्ञानी [ज्ञानी-], {(ईदृशाः) [ऐसे]}, चतुर्विधा: [चार प्रकार के], जना: [भक्त जन], माम् [मुझको], भजन्ते [भजते हैं।],
च [और], ज्ञानी [ज्ञानी-], {(ईदृशाः) [ऐसे]}, चतुर्विधा: [चार प्रकार के], जना: [भक्त जन], माम् [मुझको], भजन्ते [भजते हैं।],
हिन्दी भाषांतर
हे भरतवंशियों में श्रेष्ठ अर्जुन! उत्तम कर्म करने वाले अर्थार्थी, आर्त, जिज्ञासु
और ज्ञानी- (ऐसे) चार प्रकार के भक्त जन मुझको भजते हैं।
और ज्ञानी- (ऐसे) चार प्रकार के भक्त जन मुझको भजते हैं।