Gita Chapter-6 Shloka-42
SHLOKA
अथवा योगिनामेव कुले भवति धीमताम्।
एतद्धि दुर्लभतरं लोके जन्म यदीदृशम्।।6.42।।
एतद्धि दुर्लभतरं लोके जन्म यदीदृशम्।।6.42।।
PADACHHED
अथवा, योगिनाम्_एव, कुले, भवति, धीमताम्,
एतत् _हि, दुर्लभतरम्, लोके, जन्म, यत्_ईदृशम् ॥ ४२ ॥
एतत् _हि, दुर्लभतरम्, लोके, जन्म, यत्_ईदृशम् ॥ ४२ ॥
ANAVYA
अथवा धीमतां योगिनाम् एव कुले
भवति (किन्तु) ईदृशम् यत् एतत् जन्म (अस्ति), (तत्) लोके हि दुर्लभतरम् (वर्तते)।
भवति (किन्तु) ईदृशम् यत् एतत् जन्म (अस्ति), (तत्) लोके हि दुर्लभतरम् (वर्तते)।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
अथवा [अथवा ((वैराग्यवान् पुरुष उन लोकों में न जाकर))], धीमताम् [ज्ञानवान्], योगिनाम् [योगियों के], एव [ही], कुले [कुल में],
भवति [जन्म लेता है।], {(किन्तु) [परंतु]}, ईदृशम् [इस प्रकार का], यत् [जो], एतत् [यह], जन्म (अस्ति) [जन्म है,], {(तत्) [वह]}, लोके [संसार में], हि [नि:सन्देह], दुर्लभतरम् (वर्तते) [अत्यन्त दुर्लभ है।],
भवति [जन्म लेता है।], {(किन्तु) [परंतु]}, ईदृशम् [इस प्रकार का], यत् [जो], एतत् [यह], जन्म (अस्ति) [जन्म है,], {(तत्) [वह]}, लोके [संसार में], हि [नि:सन्देह], दुर्लभतरम् (वर्तते) [अत्यन्त दुर्लभ है।],
ANUVAAD
अथवा ((वैराग्यवान् पुरुष उन लोकों में न जाकर)) ज्ञानवान् योगियों के ही कुल में
जन्म लेता है। (परंतु) इस प्रकार का जो यह जन्म है, (वह) संसार में नि:सन्देह अत्यन्त दुर्लभ है।
जन्म लेता है। (परंतु) इस प्रकार का जो यह जन्म है, (वह) संसार में नि:सन्देह अत्यन्त दुर्लभ है।