Chapter 6 – ध्यानयोग/आत्मसंयमयोग Shloka-29

Chapter-6_6.29

SHLOKA

सर्वभूतस्थमात्मानं सर्वभूतानि चात्मनि।
ईक्षते योगयुक्तात्मा सर्वत्र समदर्शनः।।6.29।।

PADACHHED

सर्वभूत-स्थम्_आत्मानम्‌, सर्व-भूतानि, च_आत्मनि,
ईक्षते, योग-युक्तात्मा, सर्वत्र, सम-दर्शन: ॥ २९ ॥

ANAVYA

योगयुक्तात्मा सर्वत्र (च) समदर्शन: (योगी)
आत्मानं सर्वभूतस्थं च सर्वभूतानि आत्मनि ईक्षते।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

योगयुक्तात्मा [((सर्वव्यापी अनन्त चेतन में एकीभाव से स्थितिरूप)) योग से युक्त आत्मा वाला], सर्वत्र (च) [(और) सब में], समदर्शन: (योगी) [समान भाव से देखने वाला (योगी)],
आत्मानम् [आत्मा को], सर्वभूतस्थम् [सम्पूर्ण भूतों में स्थित], च [और], सर्वभूतानि [सम्पूर्ण भूतों को], आत्मनि [आत्मा मेंं ], ईक्षते [देखता है।]

ANUVAAD

((सर्वव्यापी अनन्त चेतन में एकीभाव से स्थितिरूप)) योग से युक्त आत्मा वाला (तथा) सब में समान भाव से देखने वाला (योगी)
आत्मा को सम्पूर्ण भूतों में स्थित और सम्पूर्ण भूतों को आत्मा मेंं देखता है।

Leave a Reply