Gita Chapter-4 Shloka-29-30

Chapter-4_4.29-30

SHLOKA

अपाने जुह्वति प्राणं प्राणेऽपानं तथाऽपरे।
प्राणापानगती रुद्ध्वा प्राणायामपरायणाः।।4.29।।
अपरे नियताहाराः प्राणान्प्राणेषु जुह्वति।
सर्वेऽप्येते यज्ञविदो यज्ञक्षपितकल्मषाः।।4.30।।

PADACHHED

अपाने, जुह्वति, प्राणम्‌, प्राणे_अपानम्‌, तथा_अपरे,
प्राणापान-गती, रुद्ध्वा, प्राणायाम-परायणा: ॥ २९ ॥
अपरे_नियताहारा:, प्राणान्_प्राणेषु, जुह्वति,
सर्वे_अपि_एते, यज्ञ-विद:, यज्ञ-क्षपित-कल्मषा: ॥ ३० ॥

ANAVYA

अपरे (कतिपयाः योगिनः) अपाने प्राणं जुह्वति तथा (अन्ये) प्राणे अपानं (जुह्वति) अपरे (कतिपयाः) नियताहारा:
प्राणायामपरायणा: प्राणापानगती रुद्ध्वा प्राणान्‌ प्राणेषु जुह्वति। एते सर्वे अपि (साधकाः) यज्ञक्षपितकल्मषा: (च) यज्ञविद: (सन्ति)।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

अपरे [दूसरे], {(कतिपयाः योगिनः) [कितने ही योगीजन]}, अपाने [अपान वायु में], प्राणम् [प्राण वायु का], जुह्वति [हवन करते हैं।], तथा (अन्ये) [वैसे ही (अन्य) ((योगी लोग))], प्राणे [प्राण वायु में], अपानम् (जुह्वति) [अपान वायु का (हवन करते हैं तथा)], अपरे (कतिपयाः) [अन्य (कितने ही )], नियताहारा: [नियमित आहार करने वाले], प्राणायामपरायणा: [प्राणायाम में प्रवृत्त ((पुरुष))], प्राणापानगती [प्राण और अपान की गति को], रुद्ध्वा [रोककर], प्राणान् [प्राणों को], प्राणेषु [प्राणों में ((ही))], जुह्वति [हवन किया करते हैं।], एते [ये], सर्वे, अपि (साधकाः) [सभी (साधक)], यज्ञक्षपितकल्मषा: [यज्ञों द्वारा पापों का नाश कर देने वाले (और)], यज्ञविद: (सन्ति) [यज्ञों को जानने वाले हैं।],

ANUVAAD

दूसरे (कितने ही योगीजन) अपान वायु में प्राण वायु का हवन करते हैं। वैसे ही (अन्य) ((योगी लोग)) प्राण वायु में अपान वायु का (हवन करते हैं तथा) अन्य (कितने ही ) नियमित आहार करने वाले
प्राणायाम में प्रवृत्त ((पुरुष)) प्राण और अपान की गति को रोककर प्राणों को प्राणों में ((ही)) हवन किया करते हैं। ये सभी (साधक) यज्ञों द्वारा पापों का नाश कर देने वाले (और) यज्ञों को जानने वाले हैं।

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