SHLOKA (श्लोक)
सर्वाणीन्द्रियकर्माणि प्राणकर्माणि चापरे।
आत्मसंयमयोगाग्नौ जुह्वति ज्ञानदीपिते।।4.27।।
आत्मसंयमयोगाग्नौ जुह्वति ज्ञानदीपिते।।4.27।।
PADACHHED (पदच्छेद)
सर्वाणि_इन्द्रिय-कर्माणि, प्राण-कर्माणि, च, अपरे,
आत्म-संयम-योगाग्नौ, जुह्वति, ज्ञान-दीपिते ॥ २७ ॥
आत्म-संयम-योगाग्नौ, जुह्वति, ज्ञान-दीपिते ॥ २७ ॥
ANAVYA (अन्वय-हिन्दी)
अपरे (योगिनः) सर्वाणि इन्द्रियकर्माणि च प्राणकर्माणि
ज्ञानदीपिते आत्मसंयमयोगाग्नौ जुह्वति।
ज्ञानदीपिते आत्मसंयमयोगाग्नौ जुह्वति।
Hindi-Word-Translation (हिन्दी शब्दार्थ)
अपरे (योगिनः) [दूसरे (योगी लोग)], सर्वाणि इन्द्रियकर्माणि [इन्द्रियों की सम्पूर्ण क्रियाओं को], च [और], प्राणकर्माणि [प्राणों की समस्त क्रियाओं को],
ज्ञानदीपिते [ज्ञान से प्रकाशित], आत्मसंयमयोगाग्नौ [आत्मसंयम योगरूप अग्नि में], जुह्वति [हवन किया करते हैं।],
ज्ञानदीपिते [ज्ञान से प्रकाशित], आत्मसंयमयोगाग्नौ [आत्मसंयम योगरूप अग्नि में], जुह्वति [हवन किया करते हैं।],
हिन्दी भाषांतर
दूसरे (योगी लोग) इन्द्रियों की सम्पूर्ण क्रियाओं को और प्राणों की समस्त क्रियाओं को
ज्ञान से प्रकाशित आत्मसंयम योगरूप अग्नि में हवन किया करते हैं।
ज्ञान से प्रकाशित आत्मसंयम योगरूप अग्नि में हवन किया करते हैं।