Chapter 4 – ज्ञानकर्मसन्न्यासयोग Shloka-26

Chapter-4_4.26

SHLOKA

श्रोत्रादीनीन्द्रियाण्यन्ये संयमाग्निषु जुह्वति।
शब्दादीन्विषयानन्य इन्द्रियाग्निषु जुह्वति।।4.26।।

PADACHHED

श्रोत्रादीनि_इन्द्रियाणि_अन्ये, संयमाग्निषु, जुह्वति,
शब्दादीन्_विषयान्_अन्ये, इन्द्रियाग्निषु, जुह्वति ॥ २६ ॥

ANAVYA

अन्ये (योगिनः) श्रोत्रादीनि इन्द्रियाणि संयमाग्निषु जुह्वति (च) अन्ये (योगिनः)
शब्दादीन्‌ विषयान्‌ इन्द्रियाग्निषु जुह्वति।

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अन्ये (योगिनः) [अन्य (योगीजन)], श्रोत्रादीनि [श्रोत्र आदि], इन्द्रियाणि [समस्त इन्द्रियों को], संयमाग्निषु [संयमरूप अग्नियों में], जुह्वति (च) [हवन किया करते हैं (और)], अन्ये (योगिनः) [दूसरे (योगी लोग)],
शब्दादीन् [शब्द आदि], विषयान् [समस्त विषयों को], इन्द्रियाग्निषु [इन्द्रियरूप अग्नियों में], जुह्वति [हवन किया करते हैं।],

ANUVAAD

अन्य (योगीजन) श्रोत्र आदि समस्त इन्द्रियों को संयमरूप अग्नियों में हवन किया करते हैं (और) दूसरे (योगी लोग)
शब्द आदि समस्त विषयों को इन्द्रियरूप अग्नियों में हवन किया करते हैं।

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