SHLOKA (श्लोक)
तस्मादसक्तः सततं कार्यं कर्म समाचर।
असक्तो ह्याचरन्कर्म परमाप्नोति पूरुषः।।3.19।।
असक्तो ह्याचरन्कर्म परमाप्नोति पूरुषः।।3.19।।
PADACHHED (पदच्छेद)
तस्मात्_असक्त:, सततम्, कार्यम्, कर्म, समाचर,
असक्त:, हि_आचरन्_कर्म, परम्_आप्नोति, पूरुष: ॥ १९ ॥
असक्त:, हि_आचरन्_कर्म, परम्_आप्नोति, पूरुष: ॥ १९ ॥
ANAVYA (अन्वय-हिन्दी)
तस्मात् (त्वम्) सततम् असक्तः (सदा) कार्यं कर्म समाचर हि
असक्तः कर्म आचरन् पूरुष: परम् आप्नोति।
असक्तः कर्म आचरन् पूरुष: परम् आप्नोति।
Hindi-Word-Translation (हिन्दी शब्दार्थ)
तस्मात् त्वम्) [इसलिये (तुम)], सततम् [निरन्तर], असक्तः (सदा) [आसक्ति से रहित होकर (सदा)], कार्यं कर्म [कर्तव्य कर्म को], समाचर [भलीभाँति करते रहो।], हि [क्योंकि],
असक्तः [आसक्ति से रहित होकर], कर्म [कर्म], आचरन् [करता हुआ], पूरुष: [मनुष्य], परम् [परमात्मा को], आप्नोति [प्राप्त हो जाता है।],
असक्तः [आसक्ति से रहित होकर], कर्म [कर्म], आचरन् [करता हुआ], पूरुष: [मनुष्य], परम् [परमात्मा को], आप्नोति [प्राप्त हो जाता है।],
हिन्दी भाषांतर
इसलिये (तुम) निरन्तर आसक्ति से रहित होकर (सदा) कर्तव्य कर्म को भलीभाँति करते रहो क्योंकि
आसक्ति से रहित होकर कर्म करता हुआ मनुष्य परमात्मा को प्राप्त हो जाता है।
आसक्ति से रहित होकर कर्म करता हुआ मनुष्य परमात्मा को प्राप्त हो जाता है।