SHLOKA
आपूर्यमाणमचलप्रतिष्ठं
समुद्रमापः प्रविशन्ति यद्वत्।
तद्वत्कामा यं प्रविशन्ति सर्वे
स शान्तिमाप्नोति न कामकामी।।2.70।।
समुद्रमापः प्रविशन्ति यद्वत्।
तद्वत्कामा यं प्रविशन्ति सर्वे
स शान्तिमाप्नोति न कामकामी।।2.70।।
PADACHHED
आपूर्यमाणम्_अचल-प्रतिष्ठम्, समुद्रम्_आप:, प्रविशन्ति, यद्वत्,
तद्वत्_कामा:, यम्, प्रविशन्ति, सर्वे, स:, शान्तिम्_आप्नोति, न, काम-कामी ॥ ७० ॥
तद्वत्_कामा:, यम्, प्रविशन्ति, सर्वे, स:, शान्तिम्_आप्नोति, न, काम-कामी ॥ ७० ॥
ANAVYA
यद्वत् (नदीनाम्) आप: (यदा) आपूर्यमाणम् अचलप्रतिष्ठं समुद्रं प्रविशन्ति तद्वत् सर्वे
कामाः यं प्रविशन्ति, स: शान्तिम् आप्नोति कामकामी न।
कामाः यं प्रविशन्ति, स: शान्तिम् आप्नोति कामकामी न।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
यद्वत् (नदीनाम्) [जैसे ((नाना)) (नदियों के)], आप: [जल], {(यदा) [जब]}, आपूर्यमाणम् [सब ओर से परिपूर्ण,], अचलप्रतिष्ठम् [अचल प्रतिष्ठा वाले], समुद्रम् [समुद्र में ((उसको विचलित न करते हुए ही))], प्रविशन्ति [समा जाते हैं,], तद्वत् [वैसे ही], सर्वे [सब],
कामाः [भोग], यम् [जिस ((स्थितप्रज्ञ पुरुष)) में ((किसी प्रकार का विकार उत्पन्न किये बिना ही))], प्रविशन्ति [समा जाते हैं,], स: [वही (पुरुष)], शान्तिम् [(परम) शान्ति को], आप्नोति [प्राप्त होता है,], कामकामी [भोगों को चाहनेवाला], न [नहीं।],
कामाः [भोग], यम् [जिस ((स्थितप्रज्ञ पुरुष)) में ((किसी प्रकार का विकार उत्पन्न किये बिना ही))], प्रविशन्ति [समा जाते हैं,], स: [वही (पुरुष)], शान्तिम् [(परम) शान्ति को], आप्नोति [प्राप्त होता है,], कामकामी [भोगों को चाहनेवाला], न [नहीं।],
ANUVAAD
जैसे ((नाना)) (नदियों के) जल (जब) सब ओर से परिपूर्ण, अचल प्रतिष्ठावाले समुद्र में ((उसको विचलित न करते हुए ही)) समा जाते हैं, वैसे ही सब
भोग जिस ((स्थितप्रज्ञ पुरुष)) में ((किसी प्रकार का विकार उत्पन्न किये बिना ही)) समा जाते हैं, वही ((पुरुष)) ((परम)) शान्ति को प्राप्त होता है, भोगों को चाहनेवाला नहीं।
भोग जिस ((स्थितप्रज्ञ पुरुष)) में ((किसी प्रकार का विकार उत्पन्न किये बिना ही)) समा जाते हैं, वही ((पुरुष)) ((परम)) शान्ति को प्राप्त होता है, भोगों को चाहनेवाला नहीं।