SHLOKA
कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनीषिणः।
जन्मबन्धविनिर्मुक्ताः पदं गच्छन्त्यनामयम्।।2.51।।
जन्मबन्धविनिर्मुक्ताः पदं गच्छन्त्यनामयम्।।2.51।।
PADACHHED
कर्मजम्, बुद्धि-युक्ता:, हि, फलम्, त्यक्त्वा, मनीषिण:,
जन्म-बन्ध-विनिर्मुक्ता:, पदम्, गच्छन्ति_अनामयम् ॥ ५१ ॥
जन्म-बन्ध-विनिर्मुक्ता:, पदम्, गच्छन्ति_अनामयम् ॥ ५१ ॥
ANAVYA
हि बुद्धियुक्ता: मनीषिण: कर्मजं फलं
त्यक्त्वा जन्मबन्धविनिर्मुक्ता: अनामयं पदं गच्छन्ति।
त्यक्त्वा जन्मबन्धविनिर्मुक्ता: अनामयं पदं गच्छन्ति।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
हि [क्योंकि], बुद्धियुक्ता: [समबुद्धि से युक्त], मनीषिण: [ज्ञानी लोग], कर्मजम् [कर्मो से उत्पन होने वाले], फलम् [फल को],
त्यक्त्वा [त्यागकर], जन्मबन्धविनिर्मुक्ता: [जन्मरूप बन्धन से मुक्त हो], अनामयम् [निर्विकार], पदम् [परमपद को], गच्छन्ति [प्राप्त हो जाते हैं।],
त्यक्त्वा [त्यागकर], जन्मबन्धविनिर्मुक्ता: [जन्मरूप बन्धन से मुक्त हो], अनामयम् [निर्विकार], पदम् [परमपद को], गच्छन्ति [प्राप्त हो जाते हैं।],
ANUVAAD
क्योकिं समबुद्धि से युक्त ज्ञानी लोग कर्मों से उत्पन्न होने वाले फल को त्यागकर जन्मरूप बन्धन से मुक्त हो निर्विकार परमपद को प्राप्त हो जाते हैं ।।५१।।