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Chapter 18 – मोक्षसन्न्यासयोग Shloka-66

Chapter-18_1.66

SHLOKA

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।।18.66।।

PADACHHED

सर्व-धर्मान्_परित्यज्य, माम्_एकम्‌, शरणम्‌, व्रज,
अहम्, त्वा, सर्व-पापेभ्य:, मोक्षयिष्यामि, मा, शुच: ॥ ६६ ॥

ANAVYA

सर्वधर्मान्‌ परित्यज्य (त्वम्) एकं मां शरणं व्रज;
अहं त्वा सर्वपापेभ्य: मोक्षयिष्यामि, (अतः) (त्वम्) मा शुच:।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

सर्वधर्मान् [सम्पूर्ण धर्मों को अर्थात् सम्पूर्ण कर्तव्य कर्मों को], परित्यज्य [त्यागकर], {(त्वम्) [तुम ((केवल))]}, एकम् [एक], माम् [मेरे ((सर्वशक्तिमान् सर्वाधार परमेश्वर की))], शरणम् [शरण में], व्रज [आ जाओ।],
अहम् [मैं], त्वा [तुम्हे], सर्वपापेभ्य: [सम्पूर्ण पापों से], मोक्षयिष्यामि [मुक्त कर दूँगा,], {(अतः) [इसलिए]}, {(त्वम्) [तुम]}, मा शुच: [शोक मत करो।]

ANUVAAD

सम्पूर्ण धर्मों को अर्थात् सम्पूर्ण कर्तव्य कर्मों को त्यागकर (तुम) ((केवल)) एक मेरे ((सर्वशक्तिमान् सर्वाधार परमेश्वर की)) शरण में आ जाओ।
मैं तुम्हें सम्पूर्ण पापों से मुक्त कर दूँगा, (इसलिए) (तुम) शोक मत करो।

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