Chapter 18 – मोक्षसन्न्यासयोग Shloka-23
SHLOKA
नियतं सङ्गरहितमरागद्वेषतः कृतम्।
अफलप्रेप्सुना कर्म यत्तत्सात्त्विकमुच्यते।।18.23।।
अफलप्रेप्सुना कर्म यत्तत्सात्त्विकमुच्यते।।18.23।।
PADACHHED
नियतम्, सङ्ग-रहितम्_अराग-द्वेषत:, कृतम्,
अफल-प्रेप्सुना, कर्म, यत्_तत्_सात्त्विकम्_उच्यते ॥ २३ ॥
अफल-प्रेप्सुना, कर्म, यत्_तत्_सात्त्विकम्_उच्यते ॥ २३ ॥
ANAVYA
यत् कर्म नियतम् (च) सङ्गरहितम् (च) अफलप्रेप्सुना
अरागद्वेषत: कृतं तत् सात्त्विकम् उच्यते।
अरागद्वेषत: कृतं तत् सात्त्विकम् उच्यते।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
यत् [जो], कर्म [कर्म], नियतम् (च) [((शास्त्रविधि से)) नियत किया हुआ (और)], सङ्गरहितम् [((कर्तापन के)) अभिमान से रहित हो (तथा)], अफलप्रेप्सुना [फल न चाहने वाले ((पुरूष)) के द्वारा],
अरागद्वेषत: [बिना राग-द्वेष के], कृतम् [किया गया हो-], तत् [वह], सात्त्विकम् [सात्त्विक], उच्यते [कहा जाता है।]
अरागद्वेषत: [बिना राग-द्वेष के], कृतम् [किया गया हो-], तत् [वह], सात्त्विकम् [सात्त्विक], उच्यते [कहा जाता है।]
ANUVAAD
जो कर्म ((शास्त्रविधि से)) नियत किया हुआ (और) ((कर्तापन के)) अभिमान से रहित हो (तथा) फल न चाहने वाले ((पुरूष)) के द्वारा
बिना राग-द्वेष के किया गया हो- वह सात्त्विक कहा जाता है।
बिना राग-द्वेष के किया गया हो- वह सात्त्विक कहा जाता है।