Chapter 16 – दैवासुरसम्पद्विभागयोग Shloka-21
SHLOKA
त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्।।16.21।।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्।।16.21।।
PADACHHED
त्रिविधम्, नरकस्य_इदम्, द्वारम्, नाशनम्_आत्मन:,
काम:, क्रोध:_तथा, लोभ:_तस्मात्_एतत्_त्रयम्, त्यजेत् ॥ २१ ॥
काम:, क्रोध:_तथा, लोभ:_तस्मात्_एतत्_त्रयम्, त्यजेत् ॥ २१ ॥
ANAVYA
काम: क्रोध: तथा लोभ: इदं त्रिविधं नरकस्य द्वारम्
आत्मन: नाशनम् (वर्तन्ते), तस्मात् एतत् त्रयं त्यजेत्।
आत्मन: नाशनम् (वर्तन्ते), तस्मात् एतत् त्रयं त्यजेत्।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
काम: [काम], क्रोध: [क्रोध], तथा [तथा], लोभ: [लोभ-], इदम् [ये], त्रिविधम् [तीन प्रकार के], नरकस्य [नरक के], द्वारम् [द्वार],
आत्मन: [आत्मा का], नाशनम् (वर्तन्ते) [नाश करने वाले अर्थात् उसको अधोगति में ले जाने वाले हैं।], तस्मात् [अतएव], एतत् [इन], त्रयम् [तीनों को], त्यजेत् [त्याग देना चाहिये।],
आत्मन: [आत्मा का], नाशनम् (वर्तन्ते) [नाश करने वाले अर्थात् उसको अधोगति में ले जाने वाले हैं।], तस्मात् [अतएव], एतत् [इन], त्रयम् [तीनों को], त्यजेत् [त्याग देना चाहिये।],
ANUVAAD
काम क्रोध तथा लोभ- ये तीन प्रकार के नरक के द्वार
आत्मा का नाश करने वाले अर्थात् उसको अधोगति में ले जाने वाले हैं। अतएव इन तीनों को त्याग देना चाहिये।
आत्मा का नाश करने वाले अर्थात् उसको अधोगति में ले जाने वाले हैं। अतएव इन तीनों को त्याग देना चाहिये।