SHLOKA
यो मामेवमसम्मूढो जानाति पुरुषोत्तमम्।
स सर्वविद्भजति मां सर्वभावेन भारत।।15.19।।
स सर्वविद्भजति मां सर्वभावेन भारत।।15.19।।
PADACHHED
य: माम्_एवम्_असम्मूढ:, जानाति, पुरुषोत्तमम्,
स:, सर्व-वित्_भजति, माम्, सर्व-भावेन, भारत ॥ १९ ॥
स:, सर्व-वित्_भजति, माम्, सर्व-भावेन, भारत ॥ १९ ॥
ANAVYA
(हे) भारत! य: असम्मूढ: माम् एवं पुरुषोत्तमं जानाति
स: सर्ववित् सर्वभावेन मां भजति।
स: सर्ववित् सर्वभावेन मां भजति।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
(हे) भारत! [हे अर्जुन!], य: [जो], असम्मूढ: [ज्ञानी ((पुरुष))], माम् [मुझको], एवम् [इस प्रकार ((तत्त्व से))], पुरुषोत्तमम् [पुरुषोत्तम], जानाति [जानता है,],
स: [वह], सर्ववित् [सर्वज्ञ ((पुरूष))], सर्वभावेन [सब प्रकार से (निरन्तर)], माम् [मुझ ((वासुदेव परमेश्वर)) को ही], भजति [भजता है।],
स: [वह], सर्ववित् [सर्वज्ञ ((पुरूष))], सर्वभावेन [सब प्रकार से (निरन्तर)], माम् [मुझ ((वासुदेव परमेश्वर)) को ही], भजति [भजता है।],
ANUVAAD
हे अर्जुन! जो ज्ञानी ((पुरुष)) मुझ को इस प्रकार ((तत्त्व से)) पुरुषोत्तम जानता है,
वह सर्वज्ञ ((पुरूष)) सब प्रकार से ((निरन्तर)) मुझ ((वासुदेव परमेश्वर)) को ही भजता है।
वह सर्वज्ञ ((पुरूष)) सब प्रकार से ((निरन्तर)) मुझ ((वासुदेव परमेश्वर)) को ही भजता है।