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Chapter 15 – पुरुषोत्तमयोग Shloka-12

Chapter-15_1.12

SHLOKA

यदादित्यगतं तेजो जगद्भासयतेऽखिलम्।
यच्चन्द्रमसि यच्चाग्नौ तत्तेजो विद्धि मामकम्।।15.12।।

PADACHHED

यत्_आदित्य-गतम्‌, तेज:, जगत्_भासयते_अखिलम्‌,
यत्_चन्द्रमसि, यत्_च_अग्नौ, तत्_तेज:, विद्धि, मामकम्‌ ॥ १२ ॥

ANAVYA

आदित्यगतं यत्‌ तेज: अखिलं जगत्‌ भासयते
च यत्‌ चन्द्रमसि (वर्तते) (च) यत्‌ अग्नौ (वर्तते) तत्‌ (त्वम्) मामकं तेज: विद्धि।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

आदित्यगतम् [सूर्य में स्थित], यत् [जो], तेज: [तेज], अखिलम् [सम्पूर्ण], जगत् [जगत को], भासयते [प्रकाशित करता है],
च [तथा], यत् [जो तेज], चन्द्रमसि (वर्तते) (च) [चन्द्रमा में है (और)], यत् [जो], अग्नौ (वर्तते) [अग्नि में है-], तत् (त्वम्) [उस को (तुम)], मामकम् [मेरा (ही)], तेज: [तेज], विद्धि [जानो।]

ANUVAAD

सूर्य में स्थित जो तेज सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित करता है
तथा जो तेज चन्द्रमा में है (और) जो अग्नि में है- उस को (तुम) मेरा (ही) तेज जानो।

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