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Chapter 15 – पुरुषोत्तमयोग Shloka-1

Chapter-15_1.1

SHLOKA

श्रीभगवानुवाच -
ऊर्ध्वमूलमधःशाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम्।
छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित्।।15.1।।

PADACHHED

श्रीभगवान् उवाच -
ऊर्ध्व-मूलम्_अध:-शाखम्_अश्वत्थम्‌, प्राहु:_अव्ययम्‌,
छन्दांसि, यस्य, पर्णानि, य:_तम्‌, वेद, स:, वेदवित् ॥ १ ॥

ANAVYA

श्रीभगवान् उवाच -
ऊर्ध्वमूलम् (च) अध:शाखम्‌ (यम्) अश्वत्थम्‌ अव्ययं प्राहु: (च) छन्दांसि यस्य पर्णानि (कथ्यन्ते)
तं य: वेद स: वेदवित्।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

श्रीभगवान् उवाच - [श्री भगवान् ने कहा -], ऊर्ध्वमूलम् (च) [((आदि पुरुष परमेश्वररूप)) ऊपर की ओर मूल वाले (और)], अध:शाखम् [((ब्रह्मारूप)) नीचे की ओर शाखा वाले], (यम्) अश्वत्थम् [((जिस संसाररूप)) पीपल के वृक्ष को], अव्ययम् [अविनाशी], प्राहु: (च) [कहते हैं; (तथा)], छन्दांसि [वेद], यस्य [जिसके], पर्णानि (कथ्यन्ते) [पत्ते (कहे गये हैं-)],
तम् [उस ((संसाररूप वृक्ष)) को], य: [जो ((पुरुष मूल सहित))], वेद [तत्त्व से जानता है,], स: [वह], वेदवित् [वेद के तात्पर्य को जानने वाला है।],

ANUVAAD

श्री भगवान् ने कहा - ((आदि पुरुष परमेश्वररूप)) ऊपर की ओर मूल वाले (और) ((ब्रह्मारूप)) नीचे की ओर शाखा वाले ((जिस संसाररूप)) पीपल के वृक्ष को अविनाशी कहते हैं; (तथा) वेद जिसके पत्ते (कहे गये हैं-)
उस ((संसाररूप वृक्ष)) को जो ((पुरुष मूल सहित)) तत्त्व से जानता है, वह वेद के तात्पर्य को जानने वाला है।

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